Book Title: Sangh Yatrana Dhaliya Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ फेब्रुआरी-2005 21 श्रीसंघ-यात्रानां ढाळियां ॥ कर्ता : देवचंद श्रावक ___ - सं. विजयशीलचन्द्रसूरि अमदावाद कामेश्वरनी पोळना रहेवासी, वीशा श्रीमालज्ञातीय शाह बेहेचरदास जयचंदे, वि.सं. १९२७मां, श्रीशत्रुजय-गिरनार तीर्थनो पदयात्रासंघ काढेलो, तेमज पोताना नवा मकानमां श्रीशान्तिनाथ भगवानना घरदेरासरनी स्थापना, ते ज वर्षमां, करेली, तेनुं ऐतिहासिक वर्णन करतां आ ढाळियां, देवचंद नामे श्रावक गृहस्थे रचेला छे, जे कुल ३४० जेटली कडीओमां अने १७ ढाळोमां पथरायां छे. आ रचनानी एक हस्तप्रति, अमदावादना श्रीचारित्रविजयजी ज्ञान मन्दिर (प्राच्य विद्या भवन)मां छे, तेनी धणां वर्षों पूर्वे मेळवेली झेरोक्स नकलना आधारे प्रस्तुत सम्पादन थयुं छे. प्रति २० पानांनी छे; तेना प्रान्ते लेखन वर्षनो निर्देश न होवा छतां, रचनाना सर्जन बाद तुरतना अरसामां ज ते लखाई होय तेवं सहेजे कल्पी शकाय. कर्ता पोताने, वारंवार, शुभवीरना सेवक तरीके ओळखावे छे, ते तेमनी स्वगुरु प्रत्येनी अनन्य श्रद्धा तथा बहुमान- द्योतक छे. मात्र छेल्ली कडीमा ज पोतानुं नाम तेमणे आप्युं छे. आखी कृति एक रीते आंखे देख्या अहेवालसमी भासे छे. कर्ता पोते संघमां सामेल-साथे जनार यात्री होवाथी तेमनां वर्णनमा 'प्रतीति'नो अहेसास थई आवे छे. आम छता, कर्ता पूरेपूरा समय माटे सहयात्री नहि रही शक्या होय तेवू, १६७मी कडी (ढाल ८, २० मी कडी) वांचतां लागे छे. ते कडीमां तेओ लखे छे के, "शुभवीरना सेवकना अन्तराय कर्म बळियां छे, तेनुं मन ढीलुं पडी गयुं छे, अने ते अहींथी-शत्रुजयथी पाछो फर्यो छे तथा अमदावाद गयेल छे." जोके तो पण, बाकीनी ढाळो पण तेमणे ज रची तो छे; तेनो अर्थ एवो थई शके के तेमने माटे कोईके बधी वीगतोनी नोंध करी हशे अने तेने आधारे तेओए बाकीनो अंश बनाव्यो हशे. आथी साव विपरीत, छेल्ली ढाळनी २९मी (३३९मी) कडीमां तेमणे एम लख्युं छे के "जात्रा करि संघ नयने निहाली" आ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 ... 40