Book Title: Samraicch Kaha Part 1
Author(s): Haribhadrasuri, Rameshchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 515
________________ डॉ. रमेशचन्द्र जैन जन्म : 1946 में, मड़ावरा ग्राम (जिला ललितपुर, उत्तरप्रदेश) में । शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा जन्मस्थान में प्राप्त करने के पश्चात्, श्री स्याद्वाद महाविद्यालय एवं काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी में अध्ययन । विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से पी-एच. डी. तथा रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से डी. लिट्. । कार्यक्षेत्र : 1969 से वर्द्धमान (नातकोत्तर) महाविद्यालय बिजनौर के संस्कृत विभाग में अध्यापन । सम्प्रति विभागाध्यक्ष । प्रकाशित रचनाएँ : 'पद्मचरित में प्रतिपादित भारतीय संस्कृति', 'अहिच्छत्र की पुरा सम्पदा', 'पावन तीर्थ हस्तिनापुर' आदि । 'समराइच्चकहा' के अतिरिक्त 'समाधितन्त्र' तथा 'इष्योपदेश' का सम्पादन एवं 'आराधना-कथाप्रबन्ध', 'भावसंग्रह', 'सुदर्शनचरित' और 'पाश्र्वाभ्युदय' का अनुवाद । अब तक एक दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं का पी-एच.डी. के लिए शोध-निर्देशन | लगभग सात वर्ष से 'पार्श्व-ज्योति' पाक्षिक का सम्पादन । भारतवर्षीय दिग. जैन शास्त्रीय परिषद्, स्याद्वाद शिक्षण परिषद् से सम्मानित एवं पुरस्कृत । प्राकृत शोध संस्थान वैशाली की अधिष्ठात्री समिति एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्राकृत स्टडीज एण्ड रिसर्च, श्रवणबेलगोला के डाइरेक्टर्स बोर्ड के सदस्य तथा अन्य अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध । www.jalnelibrary.org Education International For Private & Personal Use Only

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