Book Title: Sambodhi 1973 Vol 02
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 410
________________ नेमिजिन चरित्र अज्ञातकर्डक एक प्राचीन गर्न काष्य पं. बावुभाई सपंचद् शाह प्रास्ताविक --विराट विश्वना फलक उपर अनेक वंदनाय बिमनमोई गई भने थाय छे । तेओमा केटलोक एवी अनुपम विभूतिभो होय में मन्न जीवन जगतमा कविओ द्वारा वैविध्यपूर्वक वर्णवातां हाय के । आनी 3 एक विरल विभूति जैनोना बावीसमा तीर्थकर श्री नेमिजिन छ । श्री. मिजिनना जीवन उपर श्रृंगारिक वर्णनोवालो तेमज आध्यात्मिकता मभर अनेक कनिमो मळे छ । प्रस्तुत कृति अज्ञातकर्तृक छ । आर्थी तेना का विषे प्रकाश पाडी शकाय तेम नथी । आ कृतिनी पुष्पिकामां इति नेमिचरित्रं आपलं छ । परंतु मागमप्रभाकर पू. मुनिराज श्री पुण्यविजयजी संग्रहमा मा कृतिनुं नाम नेमिजिन चरित्र नाटक ए प्रमाणे नोंधेलुं छे भने संभव छे के पूज्य मुनिजीए आ कृनिनी रचना जोइने ते प्रमाणे नाम नोंधाव्यु हो । कविए शरूमातमा संस्कृत श्लोक अने असे उपसंहारमा बे संस्कृत श्लोको मूकी २७ कडीनी नानी रचना होवा छतां प्रस्तुन कृतिन नेमिबिन चरित्र नाटक नाम सार्थक करी बताव्यु छे । शरूआतमां द्वारिका नगरनुं वर्णन कर्यु छे । त्यारबाद वसंत ऋतुनुं वर्णन, विविध वृक्षोनुं वर्णन भने पछी राजीमतीनुं वर्णन करेल छ । लंकाउली जयरदेसि भागि, जिसि घडी अंगि अनंगरागि शृंगार श्रृंगार रसावतार, वक्षोज वक्षस्थलि तार हार ॥१२॥ आ अने आवी अनेक कडीमोथी राजीमतीना अंगोपांगर्नु भदभुत वर्णन करेल छे । पछी नेमिकुमारना पाछा वळ्या वाद विरहवर्णननो तादृश स्मिार रज़ करेल छे । प्रतिपरिचय-आ कृतिनी एक ज प्रति श्री लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर अमदावादना आगमप्रभाकर प. मुनिराज श्री पुण्यविजयजी संगृहीत इस्लास

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