Book Title: Samaya Sara
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 71
________________ समयसार ११७ दुःखसे कथंचित् अनन्य - अभिन्न रहता है।।३४९-३५५ ।। आगे निश्चय व्यवहारके इस कथनको दृष्टांत द्वारा दस गाथाओंसे स्पष्ट करते हैं -- जह सेडिया दु ण परस्स सेडिया सेडिया य सा होइ। तह जाणओ दु ण परस्स जाणओ जाणओ सो दु।।३५६।। जह सेडिया दु ण परस्स सेडिया सेडिया य सा होइ। तह पासओ दु ण परस्स पासओ पासओ सो दु।।३५७।। जह सेडिया दु ण परस्स सेडिया सेडिया दु सा होइ। तह संजओ दु ण परस्स संजओ संजओ सो दु।।३५८।। जह सेडिया दु ण परस्स सेडिया सेडिया दु सा होदि। तह दंसणं दु ण परस्स दंसणं दंसणं तं तु।।३५९।। एवं तु णिच्छयणयस्स भासियं णाणदंसणचरित्ते। सुणु ववहारणयस्स य, वत्तव्वं से समासेण ।।३६० ।। जह परदव्वं सेडिदि, ह सेडिया अप्पणो सहावेण। तह परदव् जाणइ, णाया वि सयेण भावेण ।।३६१।। जह परदव्वं सेडिदि, हु सेडिया अप्पणो सहावेण। तह परदव्वं पस्सइ, जीवोवि सयेण भावेण।।३६२।। जह परदव्वं सेडदि, हु सेडिया अप्पणो सहावेण। तह परदव्वं विजहइ, णायावि सयेण भावेण।।३६३।। जह परदव्वं सेडदि, हु सेडिया अप्पणो सहावेण। तह परदव्वं सद्दहइ, सम्मदिट्ठी सहावेण ।।३६४ ।। एवं ववहारस्स दु, विणिच्छओ णाणदंसणचरित्ते। भणिओ अण्णेसु वि पज्जएसु एमेव णायव्वो।।३६५ ।। जिस प्रकार खड़िया दीवाल आदि परपदार्थोंको सफेद करनेवाली है इसलिए खड़िया नहीं है वह स्वयं ही खड़ियारूप है उसी प्रकार जीव परका ज्ञायक होनेसे ज्ञायक नहीं है किंतु स्वयं ही ज्ञायकरूप है। जिस प्रकार खड़िया परपदार्थोंको सफेद करनेवाली होनेसे खड़िया नहीं है किंतु स्वयं खड़िया है उसी प्रकार जीव परका दर्शक -- देखनेवाला होनेसे दर्शक नहीं है, किंतु स्वयं दर्शक है। जिस प्रकार खड़िया परपदार्थोंको

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