Book Title: Sakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Author(s): Diptipragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan
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अप्रिल २००७
कुसुम चंद्रोदय झूमक तोरण जालिक मंडप भागि । एकादशमी पूजा करतां अविचल पद भवि मागि ॥२॥
ते कुसुमना घरनी, चंद्रआ - गोख - कुसुमना झूबकनां तोरण तथा कुसुमना जालियां क. कुसुमना मंडपना भाग मध्ये मध्ये गोखनी रचना देखीनई घणुं ज जीवने खुस्याली उपजई । जाली - मांडवो, तेनो भाग तें चोका देखीनई खूस्याल । एहवूं फूलघरनी भावना श्रीजिनेश्वरनी । एम - एणें प्रकार इग्यारमी पूजा करतो भविक प्राणी अविचल जे मोक्षपद तेहनइं जाणीइं स्वांमी पाशें मागई छई, भविजन श्राविक-श्राविका ॥२॥
इति इग्यारमी पूजा कुसुमघरनी ॥ ११ ॥
एतलई इग्यारमी पूजा कुसुमना घरनी गीत सहित थई ।
हवें बारमी पूजा फुलहरई, कुसुमना मेघ वरसाववानी पूजा, ते मल्हार रागें कही छ ।
पंच वर वर्णनो विबुध जिम कुसुमनो मेघ वरसई । भमर भमरीतणा युगल रसिया परिं त्रिजग हरसई ॥१॥
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राग मल्हारेण गीयते । वर- प्रधान पंचवर्णी जे विविध प्रकारनो मेघ वरसें फुलघरें । श्रीजिनेश्वर फूलघरें विरच्यां तिहां फुलनो मेघ वरसई । विबुध कहतां पंडितजन ते पण भगवंत आगलि इमज कुसुमनो मेघ वरसावई । "जिम भमर - भमरीना युगल हर्ष पांमई गंध लेवानें तिम ते जिनपूजारसिक भव्य प्राणी श्री जिनेश्वरनी पूजाई खुसी थाई । तीम ते त्रिण्य जगना लोक हर्ष पाई ॥
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पगर जिम फूलनो पंचवरणें करी सुकृत तरसई । बारमी पूजमां हररित्र तिम जिम मिलई कनकपूरीसई ॥२॥ जिम पगर क. समुदाय फूलनो पंचवर्णनो करतां, पंचवर्णी फूल पगर भर देवता, वली मनुष्य पूजई, इम सुकृतनई जे भली करणी करतां तरसई छई उच्छाहसहित पांमे । इम पणई मननें कहै छई : अरे मन ! ८७. फूलनों - ब. । ८८. तिम ब. । ८९. खुशी ब. । ९०. हरखित तिम जिम मई कनकपूरीसरे ब. ।
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