Book Title: Sadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 369
________________ ३४७ साधना की निष्पत्तियां २१. जाघरआए संत पाहुने-(आदर्श साहित्य संघ, द्वितीय सं., १९९५) २२. जीवन की सार्थक दिशाएं-(आदर्श साहित्य संघ, द्वितीय सं. १९९२) २३. जो सुख में सुमिरन करे-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं.) २४. जैन भारती (पत्रिका)-(श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी, महासभा) २५. ज्योति जलती रहे-(चंदनराज मेहता, जोधपुर) २६. ज्योति जले : मुक्ति मिले-(जैन विश्व भारती, लाडनूं) . २७. दशवैकालिक जिनदास चूर्णि-(ऋषभदेव केशरीमल श्वे. संस्था, रतलाम, सन् १९३३) २८. दीए से दीया जले-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं. १९९५) २९. दीया जले अगम का-(वही, प्रथम सं. १९९१) ३०. धर्मचक्र का प्रवर्त्तन-(अमृत महोत्सव, राष्ट्रीय समिति, प्रथम सं., १९८६) ३१. नया समाज : नया दर्शन-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं., १९९६) ३२. नैतिक संजीवन-(आत्माराम एंड संस, दिल्ली) ३३. पदचिह्न-(आदर्श साहित्य संघ) . ३४. आत्मा के आसपास-(आदर्श साहित्य संघ, चूरू) ३५. परस पांव मुसकाई घाटी-(आदर्श साहित्य संघ) ३६. पांव पांव चलने वाला सूरज-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं. ___ १९८२) ३७. पातञ्जल सूत्रम् (मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली) ३८. प्रवचन पाथेय भाग ९ -(जैन विश्व भारती, लाडन, द्वितीय सं. . १९९०) ३९. प्रश्न व्याकरण-(जैन विश्व भारती, लाडनूं) ४०. प्रेक्षाः अनुप्रेक्षा-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं.१९८३) ४१. बहता पानी निरमला-(आदर्श साहित्य संघ, प्रथम सं. १९८५)

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