Book Title: Ratnasagar Mohan Gun Mala
Author(s): Muktikamal Gani
Publisher: Jain Lakshmi Mohan Shala

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Page 836
________________ ८२४ रत्नसागर. ॥अथ खरतर गब शुद्ध समाचारी॥॥ ॥ ॥जो प्रतिपदा १ तिथी कम हो (तो) प्रतिपदा १ का पच ख्खाण व्रत । पिउली अमावाश्या (३०) तिथकों करे। ८ अष्टमी कम हो ( तो ) अष्टमीका व्रत सप्तमी ७ को करै । और ( जो ) १४ चौदस कम हो ( तो )१४ का नपवास । अमावस (वा ) पूनिम को करै (इस का कारण ) यह दोनुं तिथी समान है । ( जेसें ) चौदस वमी तिथ हैं । ( तेसें) अमावस पूनमनी चिरंतन पहीका दिन है । इसी में यह दो दिन वमे है । यह दो दिन में नत्तम नव्यजीव यथाशक्ति पोशह पमिकमणा दि धर्मकृत्य करै । पारणे उत्तर पारणे धर्मका नद्योत करै। ( इहां बिशेष कहते है ) इस समय में जैनी पत्रा प्रसिध्ध नहीं है । मिथ्यात्वी के पत्रो में देखकै सर्ब तिथी गिणनेमें आती है। (और ) इस पत्रैका कुछ प्रमाण नहीं। हर कोई तिथ कम हो जाती है । इसीसें ( जो ) चौदश कम हो (तो) नपवास ( तथा) पक्खी पमिक्कमण ( निस्संदेह ) पूनम १५ ( तथा) अमा वसकै दिन करै ( परंतु ) तेरश चौदश के वितत्थैकों न करै । और जो बेला करै । तथा हरी गेडै (तो) यह दोनुं दिनमानें ॥॥(अब) कोई वेर संवबरी की४चोथ कम हो (तो)पंचमी के दिन, संवबरी पमिकमण करै। (परंतु)ती 'ज़ ३ के दिन कदापि कालै न करै (और) जो चौथ ४ दो होय (तो) पहली चौथ संवबरी करै । औरनी कोई तिथ दो होय (तो) पहली तिथ मान्यनी कहै । दूसरी लूंम तिथी रही। ( दूशरो यह प्रमाण है ) साठ ६० घडी की अखंड तिथी गेमकै । वमी अध घमीकी ( दूसरी ) तिथी कोण माने (इ हां कोई कहै) अपणे उदय तिथी मानें है। सूर्य ऊगै इहां तक कोई तिथी हो (तोनी) नस दिन नसी तिथ को मान है (इसीसें) जोदूशरी तिथअध घडीलीहो (तो) मानणे में क्या दोष है (इसका उत्तर) हे जव्य जो पहले दिन तीज मानी है (और ) तीजकै दिन चौथ बहुत घडी जुगतैगा। पिण नस दिन तीज मानीजैगा। (इसी तरै) चौथकै दिन सूर्य ऊगै ( इहांत क) घमी अध घडी नी चौथ होगा (तो) चौथ ४ मानीजै गा। (पर)जो तिथी दो होय । नसमें तो पहली तिथ सूर्य उदय अस्त दोनुं में रही (इसीसें)

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