Book Title: Ratnasagar Mohan Gun Mala
Author(s): Muktikamal Gani
Publisher: Jain Lakshmi Mohan Shala

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Page 841
________________ स्वकुल प्रकाशन संक्षिप्त गुर्वावली. ८२९ ६४ योगणी, आदि देवी देव्यांकों प्रतिबोधक | ( सवालाख ) रजपूत ब्राह्म पादिकों प्रतिबोध | सावण सुक्खा, गोला, बाजे (आदि) अनेक गोत्र श्रावक कुल स्थापक । सवाक्रोम ीकारजीका जाप करनेवाले, श्रीजिन दत्तसूरजी हुए (सो) आजतक मोटा दादाजीके नामसें । देशावरोमें प्रशिद्ध है || पट्टे ४५ मा । जालस्थल मणिधारक, दिल्ली के पातसाहकों, अनेक चमत्कार देखाके । धर्म उद्योत करनेवाले । श्रीजिनचंद्र सूरजी हुए (जिनोंका ) दिल्ली के नरवजार में दाग हुवा (और) बडा चमत्कार देखके संपूर्ण बादशाहादिक लोक पूजनें मानने लगे। (यह दूशरा दादाजीहुवा ) इहां अनुक्रमे (५० में पाटे ) महा प्रभावीक, श्रीजिन कुशल सूरिजी हुए (सो) आचार्य पद पायके बहुत जिन धर्मका उद्योत करनेवाले हुए (अंतमें) सं । १३८९, फागुणबद प्रभावश दिन, देव लोक गए ( तडुप:: रांत) फागुण सुद १५ सोमवारनें (प्रथम) दरशण संघकों दिया (तिस पीछे ) अनेक गांव, नगरों में क्ति घर संघका नृपगार करनें लगे (इससेती) संघ अपना •नपगारी प्राचार्यकों, इष्टदेव समऊके। सर्व देशगांव नगरों में चरण, स्तंभ, मंदर, स्थापन करके ( दादाजी के नामसे ) अनेक प्रकारसें । पूजन, वंदन करने लगे । सर्व स्थानक दादाजीका नाम प्रशिध हुवा ( आजतक ) सर्व स्थानक प्रत्यक्ष परचा दैनेंवाले, संघकों मालुम होरहे है (ऐसे ) महा नपगारी (यह ), तीशरा दादाजी हुए ॥ १ ॥ ॐ ॥ III ॥ * ॥ ॥ ॥ इहां से अनुक्रमें ६९ में पाटे महा प्रभावीक श्री जिन चंद्र सूरजी हुए सो सं । १६१२ जेशजमेर में प्राचार्य पद पायके में बहुत से साधुवों का क्रिया उधार कराके नम्र विहार करनेवाले, दिल्लीका अकबर बादशाहको चमत्कार देखा जीव हिंसा पर्व दिनोंमें बोमाके, प्रमारि वडहो फेरावाले पंचनदी, पंचपीर, मानमद्र, खोडिया खेत्रपालकों साधन करके जीव दया धर्म प्रवर्त्तन करनेवाले, वमे चमत्कारी, ये चोथा दादाजीके नाम से प्रसिद्धये ॥१॥ ॥ ॥ ऐसे महा प्रभावीक उत्तम आचार्योंके पाटानुपाटै ( ६५ में ) महोपगारक, तेजवी, श्रीजिन चंद्र सूरजी सूरीश्वर । १७११ प्राचार्य पदधार क हुए ॥ इनोंके दो शिष्य हुए ॥ ॥ ॥ * ॥ ॥ ॐ ॥

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