Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh Author(s): Sahityaratna Publisher: Vora and Company Publishers Limited View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मधु] [म माधु-१० श्रेष्ठ वि. अच्छा मामा-वि० ज्योत्स्ना स्त्री. चाँदनी माछ२-४० आधासेर पु. सवाणु-न• प्रकाश पु० रोशनी भव्युत-वि. निश्चल पु० न डिगनेवाला सा-म• • टपकना अ० क्रि० अ -स० देखते ही देखते अ. मा-श्री. माया स्त्री०; बकरी मत-स्त्री. कमी स्त्री० तंगी भनयु-वि. अचात पु० ना मालूम सत-पि. छत्रविहीन पु० and-वि. गर्भस्थ वि० भ७५/- एक रोग मनी -स्त्री. परदा पु० बुकीं वायु-१००ईर्ष्या करना म०कि. भनय-वि.प्राश्चर्यजनक पु० अजीब डाह रखना सन्जयसवर-न. संग्रहालय पु० अछ।७५७।-स्त्री. धमाधम स्त्री० अजबखाना . ऊधम सगरी री-स्त्री० एक खेल पु० Awice-१० छन्दविहीन वि. १७२-१० ऑगन पु० सहन अछुत-वि० अस्पृश्य पु० हरिजन २०४५-वि. अजेय पु० भवानi l-2.लाड-प्यार -वि. मित्र पु० दोस्त करना श• प्र• दुलराना २-न० अपच पु० अजीर्ण मर-वि० अनादि पु०; बकरा; ईश्वर /94-वि. निर्जीव वि० वेज्ञान पति-पु. ग्वाला पु. चरवाहा य-वि. अजय पु० सम-वि• अद्भुत पु० अजीब शमी -श्री. सारखींचनेका एक अामा (4) श-स्त्री० परीक्षा पु०आँच औजार पु० अरभाव-स०६. परीक्षण करके / मने-Y० अनबन स्त्री० मनमुटार देखना सकि० जाँच करना -वि० अद्वितीय पु० बेबोद भगम-स्त्री. अजवायन स्त्री० Moron-श्री. गणिका स्त्री० तवायफ म४या-स्त्री० माया स्त्री०; मांग १ असात-वि. अज्ञात वि० २०१२-१० जो बूढ़ा न हो वि. नशान-नासमझ पु० बेअक्ल अकरा (5)-वि०भयंकर पु० खौफनाक अज्ञेय-वि. जो ज्ञात न हो वि० अनजान सपा-पु. प्रकाश पु० रोशनी मनपी-वि. अपरिचित मारपण- वि० माँजना वि० नाम अन-स्त्री. बाँग स्त्री० रोश करना म-श्री. अवरोध पु० रुकावट For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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