Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुनय.] [ અપચો कपड़ा जगह अनुनय-पु० विनय स्त्री० श्रारजू-मिन्नत अने-१० एवं अ० अनु५-१० श्रेष्ठ पु० बढ़िया सने -वि० बहुत वि० अनुपम-वि० सर्वोत्तम पु० सबसे अच्छा अने । } वि० असाधारण वि. अनुपान-२० पथ्य पु० परहेज सना १० अनुपाय-वि० निरुपाय पु० लाचार मना५ (भ)-वि० अनुपम पु० नफीस भनुम -पुसंमंध पु० रिश्ता अन्न-10 भोजन पु० गिजा अनुमोध-पुं० स्मरण पु० याद सन्न-वस्त्र-10 भोजन-वस्त्र पु० रोटी. अनुभव- प्रत्यक्ष ज्ञान पु० तजुर्बा अनुभवी-१० अनुभवी पु० तजुर्बेकार | २१-नाशय-न० जठर ३० पेटकी भाग मनुमत-वि० सहमत पु० अनयु'-वि० अन्यायी पु० जुल्मी अनुभरण-न० सहमरण पु० मन्य-वि० पराया पु० गैर अनुमान--0 अनुमान पु० अन्दाज सन्यत्र-१० अन्यस्थानपर अ० दूसरी मनुमान-10 समर्थन पु० सनुयायी-वि० पंथका माननेवाला वि. सन्याय- अन्याय पु० गैरहन्साफ अनु२७-वि० आसक्त पु० निदा स-यारी-स्त्री० ईधनकी गाड़ी स्त्री० मनुरान-न० रणकार पु० भंकार अन्योन्य-१० परस्पर वि० आपसमें अनुरत-वि० आसक्त पु० फ़िदा २१-१५-० संबंध पु० रिश्ता अनुराम- प्रेम पु० मुहब्बत स-वेष४-० अनुसन्धान करनेवाला अनुरोध-५० प्रार्थना स्त्री०आर्ज; बाधा पु० खोजी भनुलेमन-न. प्रतिलिपि स्त्री० नकल | २१५-१० जल पु. श्राब अनुवा-Y० भाषान्तर पु० तर्जुमा । अ५४५-जलके जन्तु पु० मनुष्टु५ (म)- एक छन्द पु० । १५॥२-० हानि स्त्री० नुकसान; द्रोह अनुष्ठान-10 देवी देवताओं का पाठ- २५४ष्ट-२० अवनत पु० गिरा हुश्रा पूजन पु० अपलिया-स्त्री० हानि स्त्री० नुकसान अनु:-५० अनूठा पु० अनोखा अ५६५-५० विनाश पु. पायमाली अनू-स्त्री० सीताफलं पु० शरीफा सपथात- आत्महत्या स्त्री खुदकुशी मगु-१० अऋणी पु० बेकज़ेदार ५यय-० क्षय पु० बरबादी सन्त-० असत्य पु० झूठ हरामखोरी | १५-यो-४० अपच पु० अजीर्ण For Private and Personal Use Only

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