Book Title: Proceedings and papers of National Seminar on Jainology
Author(s): Yugalkishor Mishra
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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जैनधर्म के तीर्थंकर, आचार्य और वाङ्मय
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विन्ध्येश्वर शर्मा हिमांशु
जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव, प्रथम मनु स्वायम्भुव के प्रपौत्र, आग्नीध्र के पौत्र और नाभि के दत्तक पुत्र थे । ऋषभश्रेष्ठ को अपने पिता से जम्बूद्वीप के एक खण्ड, अजनाभ वर्ष का राज्य मिला था । इन्होंने इन्द्र की कन्या जयन्ती से ब्याह किया । जयन्ती से इन्हें सौ पुत्र हुए जिनमें से ८१ ब्राह्मण हो गये, ९ भागवत धर्म के प्रचारक हुए तथा १० पुत्रों ने राजपद स्वीकार किया । राजन्यता स्वीकार करनेवाले पुत्रों ने अजनाभ वर्ष का जो भाग प्राप्त किया, उसका नामकरण, ऋषभ के पुत्रों के नाम के अनुरूप ही हुआ । यथा, भारत का भारतवर्ष, इलावर्त का इलावर्तवर्ष, ब्राह्मणवर्ष का ब्राह्मणवर्त, मलय का मलयवर्ष, केतु का केतुमालवर्ष, भद्रसेन का भद्रसेनवर्ष, इन्द्रस्पृक् का इन्द्रस्पृक्वर्ष, विदर्भ का विदर्भवर्ष तथा कीकट का कीकटवर्ष । भरत को जो राज्य मिला, उसका नाम भारतवर्ष पड़ा । ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष होने का उल्लेख विष्णुपुराण (अ. ७५), लिंगपुराण (अ. ४७), शिवपुराण, ज्ञानसंहिता, श्रीमद्भागवत (५.४.९), महाभारत, ब्रह्मवैवर्तपुराण (श्रीकृष्मजन्म खण्ड, अ. ५८), बृहद् नारदीय पुराण (तृतीय अध्याय) में है । ऋषभदेव ने अपने पुत्रों को राज्य देकर जीवन के अन्तिम चरण में संन्यास ग्रहण कर लिया ।
जैनग्रन्थों में ऋषभदेव के बाद जिन तीर्थंकरों का नामोल्लेख हुआ है, वह इस प्रकार है, (१) ऋषभदेव, (२) अजितनाथ, (३) सम्भवनाथ, (४) अभिनन्दननाथ, (५) सुमतिनाथ, (६) सुपद्मनाथ, (७) सुपार्श्वनाथ, (८) चन्द्रप्रभु (९) पुष्पदन्त, (१०) शीतलनाथ, (११) श्रेयांसनाथ, (१२) वसुपद्म, (१३) विमलनाथ, (१४) अनन्तनाथ, (१५) धर्मनाथ, (१६) सन्तनाथ, (१७) कुंभनाथ, (१८) अरनाथ, (१९) मल्लिनाथ, (२०) मुनि सुव्रतनाथ, (२१) नमिनाथ, (२२) नेमिनाथ (२३) पार्श्वनाथ, (२४) और महावीर ।
ऐतिहासिक वृत्तान्तों के अनुसार
ई. पूर्व की ९वीं शताब्दी में पंचाल के राजा चुलनी ब्रह्मदत्त ने अपने पराक्रम से एक विशाल साम्राज्य अर्जित कर लिया था । इनके प्रभुत्व का विस्तार काशी, कोसल से विशाला - विदेह तक हो गया था । इनके पुत्र हुए अजातशत्रु, जिनकी राजधानी काशी में प्रतिष्ठित हुई । अजातशत्रु एक महान् दार्शनिक थे, जिनके यहाँ विद्वानों का जमघट सम्पादक, गाँव (मासिक), बिहार को ऑपरेटिव फेडरेशन बुद्धमार्ग, पटना-९
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