Book Title: Prit Kiye Dukh Hoy
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६० ....... .१६८ ............ ........१७४ १८५ ...................१९१ प: .......... .......१९८ ...२०६ ........ .....२१३ २२० २२७ २३५ २४२ २५. राज़ को राज़ ही रहने दो . २६. भाई का घर ... २७. भीतर का शृंगार .. ............... २८. प्रीत किये दुःख होय! ... २९. प्रीत न करियो कोय! .. ३०. विदा, मेरे भैया! अलविदा, मेरी बहना ... ३१. सवा लाख का पंखा. ३२. राजमहल में ३३. नया जीवन साथी मिला ...... ३४. चोर ने मचाया शोर ... ३५. राजा भी लुट गया ३६. चोर का पीछा ३७. राज्य भी मिला, राजकुमारी भी...! .. ३८. सुर और स्वर का सुभग मिलन .... ३९. करम का भरम न जाने कोय .............. ४०. चोर, जो था मन का मोर ४१. एक अस्तित्व की अनुभूति ..... ४२. बिदाई की घड़ी आई ४३. नदिया-सा संसार बहे .... ४४. सहचिंतन की ऊर्जा ... ४५. किये करम ना छूटे ४६. आँसुओं में डूबा हुआ परिवार ... ४७. संयम राह चले सो शूर .. ४८. सभी का मिलन शाश्वत में .. २४९ ...........२५७ .२६४ ....२७१ २७८ ...२८५ ..२९५ .....२०र ३०२ ......... ..... ३०९ ) ३१६ ............ ............ .......... ३२३ ............३३० For Private And Personal Use Only

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