Book Title: Pravachana sara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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श्री प्रवचनसारनी वर्णानुक्रम गाथासूची
४३५
गाथा | पृष्ठ
| गाथा पृष्ठ ।
आ | १३ | २० | आगमचक्खू साहू
२३४ | २७२ | ४८७ | आगमपुव्वा दिट्ठी । २३६ ४३८
८५ १४५ । आगमहीणो समणो २३३ | ४३३ | २४४ ४५३ । आगासमणुणिविटुं
१४० २७७ | ४० ६८ | आगासस्सवगाहो
१३३ | २६३ | ५३ ९० | आदा कम्ममलिमसो धरेदि | १५० | २९४ १५२ २९७ | आदा कम्ममलिमसो
१२१
| २३८ | ११५ २२५ | आदा णाणपमाणं
४० ९३ | १६२ | आदाय तं पि लिंगं २०७ ३८४ | २६७ | ४७९ | आपिच्छ बंधुवग्गं
२०२
| ३७५ २१३ ३९२ | आहारे व विहारे
२३१ ४२६
१४६
२१६
अ अइसयमादसमुत्थं अजधाचारविजुत्तो अढे अजधागहणं अढेसु जो ण मुज्झदि अत्थं अक्खणिवदिदं अत्थि अमुत्तं मुत्तं अत्थित्तणिच्छिदस्स | अत्थि त्ति य णत्थि त्ति अत्थो खलु दव्वमओ अधिगगुणा सामण्णे अधिवासे व विवासे अपदेसं सपदेसं अपदेसो परमाणू अपयत्ता वा चरिया अपरिचत्तसहावेणुप्पाद अप्पडिकुटुं उवधिं अप्पडिकुटुं पिंड अप्पा उवओगप्पा अप्पा परिणामप्पा अब्भुट्ठाणं गहणं अब्भुट्टेया समणा अयदाचारो समणो अरसमरूवमगंधं अरहंतादिसु भत्तो अववददि सासणत्थं अविदिदपरमत्थेसु असुभोवयोगरहिदा | असुहोदयेण आदा | असुहोवओगरहिदो
हर ४७
१६३ | ३१२ | इंदियपाणो य तधा
२९० | ३९६ | इहलोगणिरावेक्खो २२६ ४१६ ९५ १७० | इह विविहलक्खणाणं
९७ १७९ २२३ ४०८
| ४२४ | उच्चालियम्हि पाए | ३०२ | उदयगदा कम्मंसा
४३ | ७२ १२५ | २४५ | उप्पज्जदि जदि णाणं २६२ | ४७४ | उप्पादट्ठिदिभंगा
| १२९ | २५५ | २६३ | ४७५ | उप्पादट्ठिदिभंगा विज्जंते । १०१ | १९३ | ४०० | उप्पादो पद्धंसो ।
२८१ | ३२४ | उप्पादो य विणासो १८ ३० २४६ । ४५६ | उवओगमओ जीवो
१७५ ३३२ २६५ ४७७ | उवओगविसुद्धो जो | १५ | २३ | २५७ ४६९ | उवओगो जदि हि
१५६ ३०३ २६० ४७२ | उवकुणदि जो वि
२४९
| ४५९ | १२ | १८ | उवयरणं जिणमग्गे
२२५ ४११ १५९ | ३०७ | उवरदपावो पुरिसो | २५९ | ४७१ |
उप्पादट्टिा
२१८
४०० |
१४२
१७२
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