Book Title: Pravachan Saroddhar Ek Adhyayan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_5_001688.pdf

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Page 33
________________ १५२ مر له م r १९ २५ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १०२२ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १०२३ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १०२४ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १०२५ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार जीवसमास १२३ प्रवचनसारोद्धार १०२७ जीवसमास १२४ प्रवचनसारोद्धार १०२८ जीवसमास १२७ प्रवचनसारोद्धार १०२९ जीवसमास १३० प्रवचनसारोद्धार १०३० जीवसमास १३२ प्रवचनसारोद्धार १०३१ जीवसमास १३३ प्रवचनसारोद्धार १०३२ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार ११३३ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार ११३४ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३०३ जीवसमास १९२ प्रवचनसारोद्धार जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३१७ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३९१ जीवसमास १०३ प्रवचनसारोद्धार १३९४ जोइसकरंडग पइण्णय प्रवचनसारोद्धार १३९० जोइसकरंडग पइण्णयं ८४ प्रवचनसारोद्धार १३९१ जोइसकरंडग पइण्णय प्रवचनसारोद्धार १०३४ ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक ७९ प्रवचनसारोद्धार १०२० ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक प्रवचनसारोद्धार ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक ७४ प्रवचनसारोद्धार १३९१ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार १०२५ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार १०३४ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार १०३६ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार १०३७ तित्थोगालीपइण्णयं ४६ प्रवचनसारोद्धार १०६७ * डॉ. श्री प्रकाश पाण्डेय द्वारा निर्दिष्ट गाथाओं के क्रमांक मुनि पद्मसेन विजयजी द्वारा दिये गये गाथा क्रमांक से भिन्न है । हो सकता है यह भिन्नता संस्करण भेद के कारण हो इनमें दस गाथाओं का अन्तर हैं । पासेन विजयजी के संस्करण में इनका क्रमांक क्रमशः ७३, ७४ एवं ८५ है । ८२ ९८८ o ८३ २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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