Book Title: Pravachan Saroddhar Ek Adhyayan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_5_001688.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ av ४१ a w ४३ ६१० o ३०३ ३०४ ३१२ ९/६७३/१ ९/६७३/२ ९/६७३/३ o o o १८६ प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार १२१० १२११ १२१२ १२१३ १२१३ १२१५ १२१६ १२१७ १२१८ १२१९ १२२० १२२० १२२१ १२२२ १२२३ १२२३ १२२४ १२२५ १२२६ १२२७ १२२८ १२२८ १२२९ १२२९ १२३० १२३१ १२३८ १२४१ १२४२ तित्थोगालीपइण्णयं आवश्यकभाष्यम् आवश्यकभाष्यम् आवश्यकभाष्यम् तित्थोगालीपइण्णयं बृहसंग्रहणी बृहसंग्रहणी बृहसंग्रहणी स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् - तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् संबोधप्रकरण कर्मग्रन्थ (प्राचीन) संबोधप्रकरण ९/६७३/४ ९/६७३/५ ९/६७३/६ o o o o ९/६७३/७ ९/६७३/८ ९/६७३/९ ९/६७३/१० ९/६७३/११ ११४१ ९/६७३/१२ ११४२ ९/६७३/१३ ९/६७३/१४ ३/३२ १/५ ३/३७ o o or • स्थानांग के सन्दर्भ में प्रथम संख्या स्थान की दूसरी सूत्र की एवं तीसरी गाथा की सूचक है। ज्ञातव्य है कि मुनि जम्बूविजयजी द्वारा सम्पादित संस्करण में गाथा क्रमांक १.१७ न होकर ११७-१३० है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71