Book Title: Pravachan Sara Tika athwa Part 02 Charitratattvadipika
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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* जीवन चरित्र 第一
ला० भगवानदासजी अग्रवाल जैन इटावा नि० ।
यू० पी० प्रांत में इटावा एक प्रसिद्ध बस्ती हैं। यहां अग्र चाल जातिकी विशेष संख्या है।
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यहां होला • भगवानदासजी अग्रवाल जैन गर्ग गोत्रके पूज्य पिता ला हुलासरायजी रहते थे । आप बड़े ही धीर व धर्मज्ञ थे । धर्मचर्चा की धारणा आपको विशेष श्री । आपने श्रीगोम्मटसार, तत्वार्थसूत्र, मोक्षमार्गप्रकाश आदि जैन धर्मके रहस्यको प्रगट करनेवाले धार्मिक तात्विक ग्रन्थोंका कई वार स्वाध्याय किया था । बहुतसी चर्चा आपको कंठाग्र थी । व्यापार बहुत शांति, समता व सत्यतासे स्वदेशी कपड़ेकी आइत व लेन देन आदिका करते थे । इटावेमें स्वदेशी कपड़ा अच्छा बनता है, जिसे आप अच्छे प्रमाण में खरीदने थे और फिर आढ़तसे बाहर (अनेक शहरोंमें) व्यापारियोंको भेजा करने थे । सत्यताके कारण आपने अच्छी प्रसिद्धि इस व्यापारमें पाई थी और न्यायपूर्वक धन भी अच्छे प्रमाणमें कमाया था।
आपके ६ पुत्र व ३ पुत्रियां थीं, जिनकी और भी संतानें आज हैं । इन नौ पुत्र पुत्रियोंके विवाह आपने अपने सामने कर दिए थे व ६० वर्षकी आयुमें समाधिमरण किया था ।
आप अपनी मृत्युका हाल ४ दिन पहले जान गए थे अतः पहले दिन धनका विभाग किया। आपने अपनी इज्यका ऐसा अच्छा विभाग किया कि अपनी गाढ़ी कमाई की आधी द्रव्य तो मंदिरजीको " जो मराय शेखके नामसे प्रसिद्ध है, उसके बननेको” तथा आधी

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