Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya Vidyapith View full book textPage 9
________________ सज्जन अन्तस् भावना प्रतिष्ठा करनी किसी ओर की है और हो रही किसी ओर की स्थापना हृदय में हो रही मिथ्यात्व और भौतिक शोर की दसों दिशि में गूंज रही है वीणा, विज्ञान और विकास के दौड़ की ऐसे समय में जिन वाणी को अन्तर हृदय में स्थापित करने जिनेन्द्र गुणों को अपने मन मानस में अवतरित करने निज स्वरूप को जिन स्वरूप में रूपान्तरित करने प्रतिष्ठा आदि अनुष्ठानों को आत्म श्रेयस्कर बनाने के लिए आज आवश्यक है जिनालय के महत्त्व एवं प्रभाव से परिचित होने की जिन प्रतिष्ठा के सम्यक स्वरूप को समझने की बाह्य आडंबर एवं आवश्यक विधानों में भेद करने की जिन प्रतिमा को जिनत्व के रूप में उपदर्शित करने की इस आशा के साथ चार कदम मोक्षाभिलाषियों के उन्नयन में...Page Navigation
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