Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 11
________________ श्रुत समृद्धि के श्री धर्मनाथ जैन पुण्य भागी मन्दिर, चेन्नई जैन इतिहास के नभांगण में दक्षिण भारत का स्थान तारों में चन्द्र के समान रहा है। पूर्वकाल से ही कला, साहित्य, स्थापत्य, धार्मिक एवं सामाजिक विकास में दक्षिण भारतीयों ने अपनी सर्वाधिक भूमिका अदा की है। आज भी कलाकारी के बेजोड़ नमूने के रूप में कई प्राचीन तीर्थ एवं मन्दिर भारतवर्ष के भाल पर तिलक के समान शोभित हैं। इसी श्रृंखला में सुविख्यात है चेन्नई तमिलनाडु में स्थित श्री केशरवाडी तीर्थ । आज से लगभग 200 वर्ष प्राचीन इस तीर्थ रूप मन्दिर को मद्रास के जैन समाज का हृदय माना जाता है । आज से 45 वर्ष पूर्व प्रवर्तिनी श्री विचक्षण श्रीजी म.सा. का आगमन इस पावन धरा पर हुआ। उन्हीं की प्रेरणा से श्री जिनदत्तसूरि जैन मण्डल की स्थापना हुई। पूज्याश्री के आशीर्वाद से यह मण्डल आज भी उसी प्रकार विविध कार्य क्षेत्रों में गतिशील हैं। सन् 1987 में पूज्य आचार्य पद्मसागर सूरीश्वरजी म. सा. एवं श्रीपूज्य जिनचन्द्रसूरिजी की निश्रा में दादाबाडी की प्रतिष्ठा हुई। सन् 1999 में वहाँ एक विशाल भवन का उद्घाटन किया गया जहाँ प्रवचन हॉल, लाइब्रेरी, यात्रिक भवन, भोजनशाला आदि समस्त सुविधाएँ हैं। आज दादाबाडी में साधुसाध्वियों के चातुर्मास और कई धार्मिक आराधनाएँ सम्पन्न करवाई जाती हैं। पुस्तक प्रकाशन, जिनालय - दादावाडी निर्माण एवं जिर्णोद्धार हेतु यह संस्था सदा प्रयासरत रहती हैं। वहाँ एक शोध संस्थान प्रारम्भ करने एवं आगम प्रकाशन करवाने की कल्पना शीघ्र ही साकार रूप लेने वाली है। श्री धर्मनाथ जैन मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध इस संस्था से अनेक सुप्रसिद्ध जैन हस्तियाँ जुड़ी हुई हैं। उन्हीं में से एक है - आचारनिष्ठ, कर्तव्य परायण, कर्मठ कार्यकर्त्ता फलोदी निवासी श्री शांतिलालजी गुलेच्छा । मण्डल के गठन काल से आप संस्था को अपनी अनवरत सेवाएँ बिना किसी पद को ग्रहण किए भी प्रदान कर रहे हैं। आपका जीवन पूर्ण रूपेण एक जैन श्रावक की चर्या से सम्पन्न हैं। गत 10 वर्षों से आप एकांतर उपवास कर रहे हैं। बृहद स्तर पर

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