Book Title: Pratima Poojan Author(s): Bhadrankarvijay Publisher: Vimal Prakashan Trust Ahmedabad View full book textPage 5
________________ प्रतिमा-पूजन "जिनपूजनसत्कारयोः करणलालसः खल्वाद्यो देशविरतिपरिणामः ।" -भगवान् श्री हरिभद्रसूरिः। वास्तव में देश विरति-श्रावक धर्म का प्राद्य परिणाम यदि कोई है, तो वह श्री जिनेश्वर देव की पूजा और सत्कार करने की लालसा है, अर्थात् जिसे जिनेश्वर देव की पूजा और सत्कार करने की लालसा नहीं है, उसे सर्वज्ञोक्त पंचमगुणस्थानक-स्वरूप देशविरति-श्रावकपन का श्राद्य परिणाम भी प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसा समझना चाहिये । TA THAN K : AN. PERS Visit Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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