Book Title: Pratikraman Vishyak Tattvik Prashnottar
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Z_Jinavani_002748.pdf

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Page 5
________________ 314 प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर प्रश्न उत्तर जिनवाणी चारित्र किसे कहते हैं? चारित्र का अर्थ है व्रत का पालन करना । आत्मा में रमण करना। जिसके द्वारा आत्मा के साथ होने वाले कर्म का आस्रव एवं बंध रुके एवं पूर्व कर्म निर्जरित हों, उसे चारित्र कहते हैं अथवा अठारह पापों का यावज्जीवन तीन करण-तीन योग से प्रत्याख्यान करना भी 'चारित्र' कहलाता है। श्रावक त्रस जीवों की हिंसा का त्याग क्यों करता है ? त्रस की हिंसा से पाप अधिक क्यों होता है? स की हिंसा से पाप अधिक होता है, क्योंकि त्रस जीवों में जीवत्व प्रत्यक्ष है तथा वे मारने पर बचने का प्रयास करते हैं। ऐसी दशा में जीवत्व प्रत्यक्ष होते हुए बलात् मारने से क्रूरता अधिक आती है । स्थावर जीवों को जितने पुण्य से स्पर्शनेन्द्रिय बलप्राण आदि मिलते हैं, उससे भी कहीं अधिक पुण्य कमाने पर एक त्रस जीव को एक जिह्वा वचन आदि प्राण मिलते हैं। उन अनन्त पुण्य से प्राप्त प्राणों का वियोग होता है, इसलिए त्रस जीवों की हिंसा से पाप भी अधिक होता है। अहिंसा अणुव्रत का पालन कितने करण कितने योग से होता है? यद्यपि अहिंसा अणुव्रत का नियम श्रावक दो करण व तीन योग से लेता है पर इसका तीन करण तीन योग से पालन का विवेक रखना चाहिए अर्थात् कोई निरपराध त्रस जीव को संकल्पपूर्वक मारे तो उसका मन-वचन-काया से अनुमोदन नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार अन्य व्रतों को भी तीन करण तीन योग से पालन करने का लक्ष्य रखना चाहिए। 15, 17 नवम्बर 2006 अतिभार किसे कहते हैं? जो पशु जितने समय तक जितना भार ढो सकता है, उससे भी अधिक समय तक उस पर भार लादना । या जो मनुष्य जितने समय तक जितना कार्य कर सकता है उससे भी अधिक समय तक उससे कार्य कराना अतिभार है। आकुट्टी से मारना किसे कहते हैं? कषायवश निर्दयतापूर्वक प्राणों से रहित करने, मारने की बुद्धि से मारना, आकुट्टी की बुद्धि से मारना कहलाता है। Jain Education International अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार किसे कहते हैं? अतिक्रम - व्रत की प्रतिज्ञा के विरुद्ध व्रत के उल्लंघन करने के विचार को अतिक्रम कहते हैं। व्यतिक्रम - व्रत का उल्लंघन करने के लिये कायिकादि व्यापार प्रारंभ करने को व्यतिक्रम कहते हैं। अतिचार व्रत को भंग करने की सामग्री इकट्ठी करना, व्रत भंग के निकट पहुँच जाना अतिचार है। अनाचार - व्रत का सर्वथा भंग करना अनाचार है। मृषावाद कितने प्रकार का है? मृषावाद दो प्रकार का है- १. सूक्ष्म और २. स्थूल । १. हँसी-मजाक या आमोद-प्रमोद में मामूली For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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