Book Title: Prashnottar Ratna Chintamani
Author(s): Anupchand
Publisher: Jain Prasarak Gyanmandal

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Page 263
________________ ( २५१ ) ल करे तो तेने आराधक कह्या छे. प्रश्नः - १७१ मोटामां मोटो दिवस केटलो होय ? ने रात्री केटली होय ! उत्तरः- भगवतीजीमां पाने ९३८ मे ओछामां ओलो दिवस बार मुह एटले चोवीश घडी तथा ओछामां ओठी रात्री पण एज प्रमाणे, तेम बधारमा वधारे दिवस १८ मुहूर्चनो एटले छत्रीश घडीनो तथा रात्री पण वधारेमां वधारे एटली घाय. प्रश्नः - १७२ श्रावका पौषध लइ धर्मकथा करे ते अधिकार शी रीते छे! उत्तर:- भगवतीजीमां पाने ९७० मे रुपिभद्रपुत्रनो अधिकार छे. त्यां श्रावको आसन लइ बैठा है, ने ऋषिभद्र धर्म प्ररूपे छे. तेमांथी श्रावकने शंका यह छे तेथी भगवंतने पूछयुं के जे ऋपिभद्र आ प्रमाणे प्ररूपे छे. भगवंत कथं के ऋषिभद्र प्ररूपे हे ते सत्य छे. एवी रीते अधिकार के तथा उपदेशमालामां गाथा २३३ मीमां श्रावक बीजाने धर्मोपदेश करे एम कयुं छे. प्रश्नः - १७३ भव्य जीव छे ते सर्वे सिद्धि वरे, त्यारे बधा श्रभवि रहे के केम १ उत्तर:- जयंती श्राविकाए भगवतीजीमां प्रश्न पूछयां छे तेमां ए प्रश्न छेतेनो जवाब पाने ९९१ मे ले के, गयो काल अनंतो गयो तेनो छेढो नथी, तोपण एक निगोदने अनंतमे भागे सिद्धि वर्या छे तेमज आवता कालनो छेडो नथी, माटे नन्ने तुल्य छे. तेथी श्रावते काले पण बीजा एक निगोदने अनंते भागे सिद्धि वरशे. तेथी कोइ दिवस भवि खाली थवाना नथी, प्रश्नः - १७४ समकित सहित कइ नरक सूधी जाय ? उत्तर:-- समकित सहित छट्टी नरक सूधी जाय अने सातमी नरके समक्ति वमीने जाय. ए अधिकार भगवतीजीमां पाने १०८७ मे छे. प्रश्नः - १७५ पुस्तक तथा प्रतिमाजी होय त्यां हास्य विनोद करतां

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