Book Title: Pramanvarttikam
Author(s): Rahul Sankrutyayan
Publisher: Allahabad Law Journal Press

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Page 15
________________ (घ) मार्गसत्यम् ( ५ ) (चतुराकारं मार्गसत्त्यम् ) ग. सत्कायदृष्टिः (क) सत्त्वदर्शनाभावे कारणम् (ख) नैरात्म्यदर्शने दोषोत्पत्तिव्यवस्था (ग) मोह: सत्कायदृष्टि: (घ) दोषाः प्रतीत्यसमुत्पन्नाः आत्मात्मीयबुद्धयोर्हानिः (च) प्रकृतिपुरुषयोर्भेदप्रतीतावपि न मोक्षः (छ) ज्ञानोपादानाहानित औदासीन्यम् I. संस्कारदुःखभावाद् दुःखभावना II. अनित्यदुःखानात्मता III. संसारी क्लेशकर्मभ्याममुक्तः (ज) सत्कायदृष्टिर्मूलम् ::: आगममात्रेण न मुक्ति: I. आत्मनोऽमूर्त्तत्वे न पापगौरवलाघवम् II. आत्मनो नित्यत्वे न पुनर्जन्म III. नैरात्म्ये स्मृतिसंगतिः घ. सम्यग्दृष्टिनैरात्म्यदृष्टिः (क) तृष्णाक्षायात् मोक्षः (ख) अक्षीणकर्मणो न मोक्षः ङ. तायात् सुगतत्वसिद्धिः (७) संवादकत्वाद् भगवान् प्रमाणम् .. .. • ११२०८ ११२०८ १२१२ १।२१५ ११२१७ १।२३१ १२४९ १।२५३ १।२५४ १।२५६ ११२०७ १।२०७ .. १।२५८ १।२५९ १।२५६ १।२६९ १।२६९ १।२७१ १।२७३ १।२७४ १।२७७ १।२८२ ११२८५

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