Book Title: Pramanvarttikam
Author(s): Rahul Sankrutyayan
Publisher: Allahabad Law Journal Press

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Page 14
________________ ग. नैरात्म्यदर्शनतो वासनाहानिः .. घ. प्रत्येकबुद्धादिभ्यो बुद्धे विशेषः (५) सुगतत्वात् भगवान् प्रमाणम् - क. आत्मदर्शनबीजहानात् मुक्तिः ख. बुद्धत्ववाधकयुक्तिनिरासः (६) तायित्वाद् भगवान् प्रमाणम् (करुणाहेतुकं सत्याभिधानम्) क. तायः चतुःसत्त्यप्रकाशनम् ख. चत्वारि आर्यसत्यानि (क) दुःखसत्त्यम् I. संसारिणः स्कन्धा दुःखम् II. रागादीनां वातादिदोषजत्वनिरासः .. III. रागादीनां भूतधर्मत्वनिरास: - A. भूतचैतन्यभेदात् B. वासनाभेदतो भेदात् C. अविज्ञानतो विज्ञानानुत्पादात् .. D. भूतात्मतया समानरागताप्रसङ्गात् .E. न रूपवद् रागोऽपि भूतधर्मः - F. न भूतान्येव हेतुः IV. चतुराकारं दुःखसत्यम् (ख) समुदयसत्यम् I. चतुराकारः समुदयः II. तृष्णा जन्मसमुदयः III. कर्मापि (ग) निरोधसत्त्यम् I. संसार्यभावे मुक्तिव्यवस्था II. मुक्तानां संसारे स्थितिः III. सत्कायदृष्टर्विगमः IV. बन्धमोक्षव्यवस्था . .. १।१३८ .. १।१४० .. १३१४१ ... १।१४३ .. १११४५ ... १११४७. .. १११४८ .. ११४८ .. १।१४६ २१४९ १११४९ १११५० .. १११६० १।१६३ १।१६५ १।१६७ .. १११७२ १११७६ .. १११७८ १११७८ २१८१ १।१८१ १११९१ .. १११९१ .. ११९३ १११९३ १११९५ श२०१ ... १।२०४ : :: :: : : : : : : : : : : : : :

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