Book Title: Pramana Pariksha
Author(s): Vidyanandacharya, Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 2
________________ प्रमाणका विचार वास्तवमें एक ऐसा विचार है, जिसका सीधा सम्बन्ध तत्त्वज्ञानसे है और तत्त्वज्ञान निःश्रेयसका प्रधान कारण माना गया है । इसके अतिरिक्त वह समस्याओंसे बहुल लोकमें भी बहुत उपयोगी और अनिवार्यरूपसे वांछनीय है । इसीसे भारतीय दर्शनों में प्रमाणपर सर्वाधिक चिन्तन हुआ है और अनेकों रचनाएँ लिखी गयी हैं । विद्यानन्दने भी यह प्रमाण-परीक्षा लिखी और उसमें प्रमाणशास्त्रके अभ्यासियोंके लिए जैन दृष्टिसे प्रमाणपर विमर्श किया है । प्रस्तुत संस्करणकी विशेषता यह है कि वैज्ञानिक सम्पादनके साथ इसमें प्राक्कथनके अलावा १२० पृष्ठकी विस्तृत एवं चिन्तनपूर्ण महत्त्व की प्रस्तावना सम्बद्ध की गयी है, जो छात्रों और विद्वानोंके लिए बहुत ही उपयोगी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only awww.j

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