Book Title: Prakrit Vidya 2000 04
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 98
________________ पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम : पत्रों द्वारा करणानुयोग परिचय लेखक : डॉ० श्रीमती उज्ज्वला शहा प्रकाशक .: वीतराग वाणी प्रकाशक, 157/9, निर्मला निवास, सायन ईस्ट, मुम्बई मूल्य : दस रुपये, (डिमाई साईज़, पेपरबैक, 160 पृष्ठ) संस्करण : प्रथम संस्करण 2000 ई० ___ इस लघु पुस्तिका में करणानुयोग जैसे सूक्ष्म एवं कठिन विषय का सरल एवं मनोवैज्ञानिक पद्धति से प्रभावी परिचय दिया गया है। शास्त्रीय विषयों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिये ऐसे प्रयोगों का स्वागत होना चाहिये। समाज की युवा पीढ़ी को करणानुयोग-विषयक जानकारी के लिये यह पुस्तक घर-घर में पहुँचाई जानी चाहिये। इसका मुद्रण एवं प्रकाशन स्तरीय है, कहीं-कहीं मराठी भाषा का हल्का प्रभाव देखने को मिलता है। फिर भी समग्ररूप से यह प्रयास स्तुत्य है। इस श्रेष्ठ कार्य के लिए विदुषी लेखिका एवं प्रकाशक —दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं। –सम्पादक ** (2) पुस्तक का नाम : कराहता कुण्डलपुर लेखक : नीरज जैन प्रकाशक : मनीशा ट्रस्ट, शान्ति सदन, कम्पनी बाग, सतना (म०प्र०) मूल्य : पच्चीस रुपये, (डिमाई साईज, पेपरबैक, 136 पृष्ठ) संस्करण : ग्यारहवां संस्करण, 2000 ई० ___कुण्डलपुर क्षेत्र के परमपूज्य बड़े बाबा एवं अन्य पुरातात्त्विक महत्त्व की सामग्री के साथ अनपेक्षित रूप से जो परिवर्तन किया जा रहा है, उसके प्रति किसी पूर्वाग्रही पृष्ठभूमि के बिना देखने पर यह पुस्तक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराती है। तथा जीर्णोद्धार के अति आकर्षण में अपेक्षित सावधानियों के प्रति अच्छी जानकारी इस पुस्तक में मिलती है। आशा है कि निष्पक्षभाव से समाज में इसका स्वागत होगा, और 00 96 प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000

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