Book Title: Prakrit Gadya Sopan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 14
________________ 4. कुडुम्बं द्वितीया विभक्ति] इमं मम कुडुम्बं अत्थि। जणो कूड्रम्बं पालइ । सो ममं गेहं करइ । मज्झ भायरो तुम जाणइ । मज्झ जणग्रो पोत्थग्रं पढइ । जगणी तं दुद्ध देइ। तुज्झ बहिगगी कमला अत्थि । माअतं पासइ। इमो अम्हाण पियामहो अत्थि । अम्हे इमं नमामो। तुम्हे कि नमित्था ? माउलो अम्हें वत्थं देइ । सो तुम्हे धणं देइ । भाउजाया ते नमइ । ते तारो बहूओ पासन्ति । बहिणी इमे भायरा पत्तारिण लिहइ। भायरा इमानो बहिणीअो धणं पेसन्ति । मात्रा के पुत्ता इच्छइ? ताो काओ कन्नारो साडीअो देन्ति ? अभ्यास (क) पाठ में से द्वितीया विभक्ति के सर्वनाम रूप छाँटकर उनके अर्थ लिखो। (ख) द्वितीया विभक्ति के शब्दरूप छांटकर उनके अर्थ लिखो। (ग) कुटुम्ब के सदस्यों के प्राकृत शब्द लिखो : पिता, भाई, छोटा भाई, माता, बहिन, पितामह, मामा, भौजी (भाभी), बहू पुत्र, कन्या । (घ) प्राकृत में अनुवाद करो : मित्र मुझको जानता है। वह तुमको पूछता है। माता उसको पालती है। कन्या उस स्त्री को नमन करती है। मैं इसको नहीं जानता हूँ। तुम किसको पत्र लिखते हो ? गुरु उन सबको जानते हैं। वे तुम सबको पूछेगे । तुम इन सबको नमन करो। (ङ) क्रियाएं याद करो वस = रहना सोह = अच्छा लगना परिवट्ट = बदलना उपपन्न = उत्पन्न होना जाय = पैदा होना वीह = डरना मग = मांगना अच्च = पूजा करना धाव = दौड़ना प्राव = आना गिह = ग्रहण करना = धोना प्राकृत गद्य-सोपान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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