Book Title: Prakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 9
________________ पाठ - 1 वज्जालग्ग 1. तं किं पि साहसं साहसेण साहंति साहससहावा। जं भाविऊण दिव्वो परंमुहो धुणइ नियसीसं॥ 2. जह जह न समप्पइ विहिवसेण विहडंतकज्जपरिणामो। तह तह धीराण मणे वड्ढइ बिउणो समुच्छाहो॥ 3. फलसंपत्तीइ समोणयाइ तुंगाइ फलविपत्तीए। हिययाइ सुपुरिसाणं महातरूणं व सिहराई॥ हियए जाओ तत्थेव वढिओ नेय पयडिओ लोए। ववसायपायवो सुपुरिसाण लक्खिज्जइ फलेहिं॥ ववसायफलं विहवो विहवस्स य विहलजणसमुद्धरणं। विहलुद्धरणेण जसो जसेण भण किं न पज्जत्तं॥ आढत्ता सप्पुरिसेहि तुंगववसायदिन्नहियएहिं। कज्जारंभा होहिंति निप्फला कह चिरं कालं॥ 7. विहवक्खए वि दाणं माणं वसणे वि धीरिमा मरणे। कज्जसए वि अमोहो पसाहणं धीरपुरिसाणं॥ प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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