Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Hasmukh Chudgar
Publisher: Hasmukh Chudgar

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Page 10
________________ कर्ता : श्री पूज्य वीरविजयजी महाराज दादा आदीश्वजी, दूरथी आव्यो, दादा दरिशन ध्यो; कोई आवे हाथी घोडे, कोई आवे चढे पलाणे; कोई आवे पगपाळे, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार. दादा आदि. १. शेठ आवे हाथी घोडे, राजा आवे चढे पलाणे; हुं आईं पगपाळे, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार, दादा आदि. २ कोई मूके सेना रूपा, कोई मूके महोर; हुं मूकुं चपटी चोखा, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार. दादा आदि. ३ शेठ मूके सोना रुपा, राजा मूके महोर; हुं मूकुं चपटी चोखा, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार. दादा आदि. ४ कोई मांगे कंचन काया, कोई मांगे आंख; कोई मांगे चरणोनी सेवा, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार. दादा आदि. ५ पांगळो मांगे कंचन काया, आंधळो मांगे आंख हुं मांगुं चरणोनी सेवा, दादाने दरबार, हां हां दादाने दरबार; दादा आदि. ६ हीरविजय गुरु हीरलो ने, वीरविजय गुण गाय; शेव्रुजयना दर्शन करतां, आनंद अपार, हां हां आनंद अपारदादा;आदि. ७

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