Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Hasmukh Chudgar
Publisher: Hasmukh Chudgar
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कर्ता : श्री पूज्य खिमाविजयजी महाराज प्रथम-जिणेसर पूजवा, सहियर म्हारी ! अंग उलट' धरी आव ! हो केसर चंदन मृगमदे, सहि० सुंदर आंगी बनाव ! हो सहज सलूणो' म्हारो, शम-सुखलीनो म्हारो ज्ञानमां भीनो म्हारो साहिबो, सहियर म्हारी ! ज्यो ! ज्यो प्रथम-जिणंद ! हो-सहज० (१) धन्य मरुदेवी कूखने सहि० वारी जाउं वार हजार हो स्वर्ग शिरोमणिने तजी, सहि0 जिहां प्रभु लीए अवतार. हो-सहज० (२) दायक-नायक जन्मथी, सहि० लाज्यो सुरतरु' वृंद हो युगला-धरम-निवारणो, सहि० जे थयो प्रथम-नरिंद हो-सहज० (३) लोकनीति सहु शीखवी, सहि० दाखवा मुक्तिनो राह हो राज्य भळावी पुत्रने, सहि० पाम्यो धर्म-प्रवाह हो- सहज० (४) संयम लेई संचर्यो, सहि० वरस लगे विण आहार हो शेलडी रस साटे दीओ, सहि० श्रेयांसने सुख सार हो-सहज०(७) मोटा महंतनी चाकरी, सहि० निष्फळ कदी य न थाय हो मुनिपणे नमि-विनमि कर्या सहि० खीणमा खेचर-राय-हो-सहज० (६) जननीने कीओ भेटणो, सहि0केवळ-रत्न अनूप' हो पहिली माता मोकली, सहि० जोवा शिव-वहू-रूप हो-सहज० (७) पुत्र नवाणुं परिवर्यो, सहि० भरतना नंदन आठ हो आठ करम अष्टपदे, सहि० योग-निरोधे नाठ हो-सहज0 (८) तेहना बिंब सिद्धाचले, सहि० पूजो पावन -अंग हो क्षमाविजय-जिन निरखता, सहि० उछळे हरख-तरंग हो - सहज०(९)

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