Book Title: Prachin Gurjar Kavya Sanchay
Author(s): H C Bhayani, Agarchand Nahta
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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ववकार-फल-स्तवन
इणि प्रभावि धरणेंद्र हुवउ पायालह सामी समली-कुमरि उत्पन्न भिल्ल सुरलोयह गामी । संबल केवल बे बलद पहुता पंचम कपि सूली दीधउ चोर देव थिउ नवकारह जपि ।। सिवकुमार मन वंछि करे जोगी लिद्ध मसाणि । सोना पोरिस सीधल उ इणि नवकार-प्रमाणि ॥९ छींकइ बठइउ चोर सिद्धि तत्तक्षण पामी अहि फीटिवि हुइ फुल्ल-माल नवकारह नामी । वच्छरुवा चारंति बाल जल-नदी-प्रवाहिहि" वीधिउ कंठिहि उयर मंत जपियउ मन-माहि ॥ चिंत्या काज सवे फलहि इहरति परति विमासी । पालित-सूरिहि तणिय परि सीझइ विज्ज अगासि ॥१० चोर धाडि संकटु टलइ राजा वसि होवइ तित्थंकर सो होइ लक्ख विधि गुण संजोवइ । साइणि डाइणि भूय पेय वेयाल न पहवइ आधि व्याधि ग्रह-गणह पीड तह किमइ न होवइ । कुद्र जलोदर रोग सवे नासइ ईणिइँ मंत्रि मयेण । सुन्दरि तणिय परि.... नव-पय-झाण कयेण ॥११ एक जोह इह मंत्र-तणा गुण किता वखाणउँ नाण-हीण छउमत्थ एह गुण-पार न जाणउँ । जिम सेत्तुजय तित्थ-राव महिमा उदयंतउ सयल-मंत-धुरि राय-मंतु राजा जयवंतउ ॥ तित्थंकर-गणहर-पणिय चउदह-पूरव-सारु । इणि गुणि अंत न को लहइ गुणि गरुवउ नवकारु ॥१२
९.१. हुयउ, हुअउ. ९.२. सवली कुवर. ९.३. देवह गति. ९.४. थयउ; नवकारहिं. ९.५. लियउ, लीध. ९.६. पुरिसउ. १०.१. एक अगासइ गामी. १०.२. नामिय, गामी. १०.३. वाच्छरूआ; नवनेह प्रमाणिहि; प्रवाहइ. १०.४. दीधउ, कांटि, उवरि मंत्र जपिउ. १०.५. चिंता; सवे सरेहि. १०६. श्रीपालित सूरि; परइ, विद्या सिद्धि आगासि. ११.२. होइ, गुण विधि. ११.५. एणई, ईणई, ईणि, मन्त्रेण, ११.६. नव परंति. १२ ३. सेत्तुज्जइ कप्पतित्थ; उदवंतर, १२.४. राठ मन्त्र. १२.५. पमुह, पणीय. १२.६, इहनी आदि न को लइह,
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