Book Title: Prabhavaka Charita
Author(s): Prabhachandracharya, Jinvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 249
________________ २२४ प्रभावकचरिते १३३,१३०५१ परि ग्राम साद] ७९ महास्थान (वायट नगर) ४९,५१,५२ याकिनी महत्तरा [ साध्वी ] ६४ । वज्रार्गला [योगिनी] १८० महिष पुर [नगर] १६६ याज्ञवल्क्य स्मृति [शास्त्र] १४२ वड्डकर [ सौगताचार्य] महीणल [पट्टकिल] ६५ युगादि-नेमिचरित [ग्रन्थ] १६. वत्स [देश] १८६ महीतट [प्रदेश] ५९ योगशास्त्र [ग्रन्थ] २०३,२०९,२११ वदनमति [ सौगत पण्डित] महीधर [श्रेष्ठी] ४७ योनिप्राभृत [ शास्त्र] ३२ वनराज [चापोत्कटवंशीय नृपति] १६३ महीपाल [श्रेष्ठी] __ ४७ स्थनुपुर [नगर] ४२ वनराजविहार [जिनमन्दिर] १६३ महुमहविजय [ काव्य ग्रन्थ ] ९९ रथावर्तगिरि वरदत्त [श्रेष्ठी] महेन्द्रमुनि ३४,३५ राजगच्छ वर्द्धनकुञ्जर [ सौगताचार्य] ९५-९७ महेन्द्र सूरि २,३६,४०,१३३,१३८-१४१ राजगिरि [नगर ] बर्द्धमानसूरि १३०,१६२,१६४,२१४ १४५,१५०,१५१ राजगृह [नगर] वर्मलात [नृपति] १२१ मागध [ तीर्थ] १०७,१०८ राजपुरि ग्राम १३६ वल्लभराज [ चालुक्य नृपति] १३१ माघ [ महाकवि] १२१,१२६ राजविहार [प्रासाद] १९१ वलभीपुर ७७,७९,२११ माणिक्य [पण्डित-मुनि] १७४,१७५,१७७ | राम [पण्डित] १७९ वलभीनाथ [क्षेत्रपाल] १२८,१३० माधवदेव [ तीर्थस्थान] १०८ रामचन्द्र [कवि] १७२,१८१ वाक्पतिराज [ महाकवि] ८५,९६-९९ मानखेट [नगर] ३३,३९ रामदेव [नृपति] २०२ १०२-१०४ मानतुङ्ग [सूरि] २,११२,११६,११७ रामसैन्य [पुर] ८१ वाग्भटदेव [मंत्री] १९८,१९९,२०१, मानदेव [ सूरि] २,११८-१२० रामायण [ पुराणग्रन्थ ] २०५,२०९,२११ मारव [ देश] ४७,४८ वात्स्यायन [ शास्त्र] मालव । [देश ] २,२४,१३४,१४० वादमहार्णव [ग्रन्थ ] २१३ मालवक, १५८,१५९,१६१,१८५,१८६ रुद्र [परमार क्षत्रिय] वादी देवसूरि १७१ मालवभूपति १५४ रुद्रदेव [सूरि] २,३२,४० वादिवेताल [ शान्त्याचार्य] १३२-१३४, मालवमण्डल १८५ रुद्रमहालय [शिवमन्दिर] १९. १३७,१७६ मालवाधीश १५४,१८५ रुगसोमा [ब्राह्मणपत्नी] ९-१३ वादिसिंह [सांख्यवादी] १६८,१६९ मालवी [स्त्री] रेवानदी ३३,४१,५४ वामदेव [ तपोधन] १९६ मालवेश रैवतकगिरि [पर्वत] ३६,४४,६१,१०७, वायट [पुर] माहेश्वरी [नगरी] १०८,१९४,२११ वाराणसी [नगरी] ११२,११८ मुकुन्दर्षि [ विप्र] ५४ रैवतकतीर्थ विक्रमसिंह [राजा] १९९,२००,२०२ मुअराज [ मालवपति] १३९,१४३,१४८ रैवतकदर्ग विक्रमादित्य [नृपति] २५,४३,४९, मुनिचन्द्र सूरि रैवतावतार [ तीर्थ ] १७६,१७८ लक्ष [क्षत्रिय] २१०,२११ विजयब्रह्म [भूपति ] मुरण्ड [ देश] १८६ लक्षणावती [नगरी] विजयमाला [राज्ञी] ૪૨ मुरण्ड राजा २९ लक्ष्मी [श्रेष्ठिपत्नी] १२१ विजयरथ [राजा] मूलराज [चालुक्य नृपति] १८६ लक्ष्मीधर [ श्रेष्ठी] विजयसिंहसूरि (१) २,४१,४४-४६ मेकलकन्यका [नदी] ४१,१४६ लक्ष्मीपति [व्यवहारी] १६१,१६२ विजयसिंहसूरि (२) १३३ मोढ चैत्य १०७,१८३ ललितविस्तरा [ग्रन्थ ] १२४,१२५ विजयसिंहसूरि (३) मोढवंश १८३ लल्लश्रेष्ठी ४९,५०,५२ विजयसेन [मुनि ] मोढेर,-क [नगर ] ८०,८१,९१ लाटदेश २४,२५,३१,३२,१४६, विजया [ राजकुमारी] मौर्य [वंश] ८१ १७१,१८६ विजया [ देवी] ११८ यक्ष [क्षत्रियपुत्र] ७७,७८ लाटमण्डल ५४,२०७ विद्याधर [मुनि ] यमुना [ नदी] २८ लिम्वजा [गोत्रजादेवी ] १४३ विद्याधर कुल, गच्छ, वंश २८,५४,६१, यशश्चन्द्र [गणी] २०८ लिम्बाख्य [अमात्य] १२३ यशोधवल [परमार नृपति] २०२ लोलार्कचैत्य विन्ध्य [पर्वत] यशोवर्म [नृपति] ८१,९८ वज्रस्वामि [सूरि ] १,१४,१२३ विन्ध्य [ सूरि] १६,१७ यशः [श्राद्ध] १३७ वज्रसेनाचार्य ७,८ विनमि [ विद्याधर] ૧૮૪ २८ m ur, m2001 " ४९

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