Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 6
________________ [ २ ] यदि हम यह विशाल संग्रह साहित्य - जगत को दे सके तो यह सस्था के लिये ही नहीं किन्तु राजस्थानी और हिन्दी जगत के लिए भी एक गौरव की बात होगी । ३. आधुनिकराजस्थानीकाशन रचनओ काप्र इसके अन्तर्गत निम्नलिखित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं१. कळायरण, ऋतु काव्य । ले० श्री नानूराम संस्कर्ता २. आभै पटकी, प्रथम सामाजिक उपन्यास | ले० श्री श्रीलाल जोशी । ३ वरस गांठ, मौलिक कहानी संग्रह । ले० श्री मुरलीधर व्यास । 'राजस्थान-भारती' मे भो आधुनिक राजस्थानी रचनाओ का एक अलग स्तम्भ है, जिसमे भी राजस्थानी कवितायें, कहानिया और रेखाचित्र आदि छपते रहते हैं । ४ ' राजस्थान - भारती' का प्रकाशन इस विरुपात शोधपत्रिका का प्रकाशन संस्था के लिये गौरव की वस्तु है । गत १४ वर्षों से प्रकाशित इस पत्रिका की विद्वानो ने मुक्त कठ से प्रशमा की है । बहुत चाहते हुए भी द्रव्याभाव, प्रेम की एव अन्य कठिनाइयो के कारण, त्रैमासिक रूप से इसका प्रकाशन सम्भव नहीं हो सका है । इसका भाग ५ अङ्क ३-४ 'डा० लुइजि पि तैस्सितोरी विशेषाक' बहुत ही महत्वपूर्ण एव उपयोगी सामग्री से परिपूर्ण है । यह अत एक विदेशी विद्वान को राजस्थानी साहित्य सेवा का एक बहुमूल्य सचित्र कोश है । पत्रिका का अगला ७वा भाग शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है । इसका अ १-२ राजस्थानी के सर्वश्रेष्ठ महाकवि पृथ्वीराज राठोड़ का सचित्र और वृहत् विशेपाक है । अपने ढंग का यह एक ही प्रयत्न है । पत्रिका की उपयोगिता और महत्व के सम्वन्ध मे इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि इसके परिवर्तन में भारत एवं विदेशो से लगभग ५० पत्र-पत्रिकाए हमे प्राप्त होती हैं । भारत के अतिरिक्त पाश्चात्य देशो मे भी इसकी माग है व इसके ग्राहक हैं । शोधकर्त्ताओ के लिये 'राजस्थान भारती' अनिवार्यत' संग्रहणीय शोधपत्रिका है । इसमे राजस्थानी भाषा, साहित्य, पुरातत्व, इतिहास, कला आदि पर लेखो के प्रतिरिक्त सस्या के तीन विशिष्ट सदस्य डा० दशरथ शर्मा, श्रीनरोत्तमदास स्वामी और श्री श्रगरचन्द नाहटा को वृहत् लेख सूची भी प्रकाशित की गई है ।

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