Book Title: Parshwanath Charitra
Author(s): Hargovinddas Pt, Bechardas Pt
Publisher: Harshchand Bhurabhai

View full book text
Previous | Next

Page 498
________________ ( २ ) २३. ५-०-० उपदेश तरङ्गिणी- पत्राकार - उपदेशतथारसीक कथाओ ३-०-० न्यायार्थमञ्जूषा - सिद्ध है मनी परिभाषाओनी व्याख्या ३-०-० . गुरुगुणरत्नाकरकाव्य - लक्ष्मीसागरसूरिनो इतिहास ०-८-० २४. विजयप्रशस्तिमहाकाव्य- सटीक - हेम विजयगणी २६. गद्यपाण्डवचरित्र-पण्डित देवविजयजीगणीए बनावेलं, घणुं सरल अने बोधदायक छे. सामान्य संस्कृत जाणनाराओ पण वांचननो सारो लाभ मेलवी शके छे. वधारे खात्री अनुभवथी करो किमत मात्र रु. ४-०-० २९. मल्लिनाथमहाकाव्य- (पुस्तकाकारे तेमज पत्राकारे) आ महाकाव्य श्रीविनयचन्द्रसूरिए बनावेलुं छे. जेमां मल्लिनाथस्वामीना चरित्र उपरान्त प्रासङ्गिक केटलीक रसिक कथाओ सरल संस्कृतमां आपवामां आवीछे. साधारण संस्कृत जाणनाराओ पण तेनो लाभ लई शके छे. किमत. ३-०-० ३०. स्याद्वादमञ्जरी - (पत्राकारे) आ पुस्तक केटलेक स्थळे मुद्रित छे, तो पण अमे शुद्धता तेमज अल्प मूल्यथी ते प्राप्त थई शके तेटला सारू छपाव्युं छे किमत मात्र 8-0-0 ३२. पार्श्वनाथ चरित्र - भावदेवसूरिविरचित घणुंज रसिक तथा सरल छे, पुस्तकाकारे तथा पत्राकारे श्लोकबद्ध कीमत रु. ३-०-० शास्त्रविशारद जैनाचार्य - श्री विजय धर्मसूरिजी विरचितं पुस्तको । १. जैनतश्वदिग्दर्शन २. जैनशिक्षादिग्दर्शन 19 ३. ४. पुरुषार्थदिग्दर्शन ५. आत्मोन्नतिदिग्दर्शन ६. अहिंसादिग्दर्शन ७. 17 B (हिन्दी भाषा ) " (गुजराती) (हिन्दी भाषा ) (गुजराती) पोस्टेज, (हिन्दी भाषा ) (बंगला) ०-२-० ०-२-० ०-२-० 0-8-0 0-0-& ०-४-० ०-४-०

Loading...

Page Navigation
1 ... 496 497 498 499 500