Book Title: Panchsutrakam Author(s): Bhuvanchandra, Kirtiratnavijay, Dharmkirtivijay, Kalyankirtivijay Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust View full book textPage 5
________________ पृष्ठम् २९ शुद्धिपत्रकम् श्लोकक्रमाङ्कः अशुद्धम् रुचिः लोका दारा न क्रिया पृथिगह (पङ्क्तिः )५ गृणाति शुद्धम् रुचिरः लोको दारान्न क्रियाः पृथगिह गुरुं २७ गृह्णाति १९ न तथा नु तथा द्रव्यसाहाय्यम् शासनसम्राट-समुदायवर्तिसाध्वीश्रीश्रीमतीश्रीशिष्या-साध्वीचारूप्रज्ञाश्री-उदययशाश्री-चन्द्रलेखाश्री प्रेरणया ज्ञानद्रव्यतः । शासनसम्राट्-समुदायवर्तिसाध्वीश्रीदेवीश्रीशिष्या-साध्वीश्री राजेन्द्रप्रभाश्री प्रेरणया ज्ञानद्रव्यतः । ३. उपा.श्रीभुवनचन्द्रजीप्रेरणया ज्ञानद्रव्यतः, मोटी खाखर (कच्छ)सत्क-पार्श्वचन्द्रगच्छ जैन संघ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education InternationalPage Navigation
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