Book Title: Panchastikay Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 86
________________ बलिय 117 बहु बहुग बहुल बहुविह 118, 123, 126 110, 144 110, 139 बलवान अनेक अनेक व्याप्त अनेक प्रकार ज्ञानी भूखा भव्य मुक्ति के अयोग्य 144 बुध 138 बुभुक्खिद 137 भव्व 106 120 मूर्त 133, 134 118 य वस 119 विरद 143 107 147 विरूढ विविह विहूण संसारि संसारत्थ 120 उत्पन्न अधीन संयमी परिज्ञात (मोक्ष) अनेक प्रकार रहित संसारी संसार में स्थित अपना अंत-सहित शब्द को जाननेवाला समान 120 109, 128 119 130 स-णिधण' सद्दण्हु सम 117 142 समग्ग पूर्ण 152 पंचास्तिकाय (खण्ड-2) नवपदार्थ-अधिकार (79)

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