Book Title: Panchastikay Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 90
________________ णत्थि णिच्चं णियदं णो तदा तम्हा तेण दु لم यमा पि पुण 쇠 या नहीं है सदैव सदैव निश्चयात्मक रूप से अनिवार्यतः नहीं उस समय इस कारण इसलिए पादपूरक और पादपूरक भी और फिर किन्तु और तथा अथवा जब तक पंचास्तिकाय ( खण्ड - 2) नवपदार्थ - अधिकार 124, 135, 143 125 133, 145 144 150 152 143 133 153 128, 137 129, 150 136 149 116 118 121 108, 110, 114, 119, 120, 121, 126, 135, 138, 139, 140, 149, 151 109, 113, 140 131 136 (83)

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