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परिवर्तन
एक वृद्धा थी। बहुत ही गरीब। उसने अपने पति का निधन होने के पश्चात् अत्यन्त कठिनता से कठिन श्रम कर पुत्र का लालन-पालन किया। उसके अध्ययन की व्यवस्था की। दिन भर पानी भरकर, बर्तन मांजकर और स्वयं भूखी-प्यासी रहकर अपने प्यारे लाल के लिए उसने सारी व्यवस्थाएं की। उच्च अध्ययन करवाया। लड़के ने एम० डी० परीक्षा में समुत्तीर्णता प्राप्त की और उसने एक डिस्पेन्सरी खोल दी। उसका पाणिग्रहण एक सुरूपा सुन्दरी के साथ हुआ।
विवाह के पश्चात् उसकी पत्नी ने कहा-पतिदेव ! हम इस घर में नहीं रह सकते। यह बुढ़िया जो तुम्हारी माता है सारे दिन कुछ न कुछ बड़बड़ाती रहती है। इसके रहते हुए हम आजादी से भी नहीं रह सकते। यह कभी कहीं पर थूक देती है, सफाई का ध्यान नहीं है जिससे बीमारी होने की संभावना है।
बुढ़िया को छोड़कर वे दोनों एक भव्य भवन में रहने लगे। डाक्टर दिलीप की प्रैक्टिस बहुत अच्छी
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