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પાકિસ્તાનનાં જૈન મંદિરો
जनाब इकबाल कैसर
पाकिस्तान में जैन मन्दिरों के एतिहासिक विवरण व चित्रण दर्शाने वाली शाहमुखी में लिखी किताब 'उजडे दराँ दे दर्शन' के सुविख्या लेखक, कवि - हृदय व विनम्र व्यक्ति है, जो वहाँ की अनेक साहित्यिक संस्थाओं से जुडे और सन्मानित हो चुके हैं।
अपने बहु-आयामी जीवन में उन्होंने अनेक मौलिक पुस्तकों को कलमबंद किया है। उनकी पुस्तक 'सिख श्राईनज इन पाकिस्तान' पर वे पाकिस्तान और अमरिका में सम्मानित हो चुके है।
कैमरा और कलम के साथ लंबे-लंबे सफर, जिज्ञासा की दिली तडप और अनेक वर्षों के परिश्रम का सफल परिणाम पुस्तक 'उजडे दराँ दे दर्शन' को वहाँ के अखबार डॉन और दि न्यूज ने भी सराहा और प्रशंसात्मक रिव्यू लिखे ।
इकबाल साहिब के परिवार में धर्मपत्नी आदरणीय जमीला बेगम और योग्य सुपुत्र अली रजा लेखन कार्यों व अन्य सरोकारों में पूरा हाथ बँटाते हैं।
हमारी पंजाबी पुस्त (1985) - 'पुरातन पंजाब बिच जैन धर्म' के अनेक संदर्भों का भी इकबाल साहिब ने बखूबी व सार्थक उपयोग किया है।
विद्वान लेखक श्री महेन्द्रकुमार मस्त को अपनी उपरोक्त पुस्तक के हिन्दी अनुवाद/संशोधन व प्रकाशन की स्वीकृति देकर जनाब इकबाल कैसर ने विस्मृत इतिहास की कडियों को जोडने और कमियों को पूरा करने का श्लाधनीय कार्य किया है।
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पुरुषोत्तम जैन, रविन्द्र जैन ( मालेरकोटला )