Book Title: Padmanandi Panchvinshti
Author(s): Balchandra Siddhantshastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh

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Page 10
________________ (vii ) यह ग्रंथ इससे पूर्व कमसे कम दो बार प्रकाशित हो चुका है—एक बार मराठी अनुवाद सहित वि. सं. १९५५ में और दूसरी बार हिन्दी अनुवाद सहित वि. सं. १९७१ में । ये संस्करण प्रायः किसी एक ही प्राचीन प्रति परसे तैयार किये गये थे, उनके साथ कोई समीक्षात्मक विवेचन व ग्रंथकारका परिचय नहीं दिया गया था। तथा वे संस्करण दीर्घकालसे अनुपलभ्य हैं। प्रस्तुत संस्करणके लिये इन दोनों मुद्रित प्रतियोंके अतिरिक्त समस्त उपलभ्य प्राचीन हस्तलिखित प्रतियोंका उपयोग किया गया है । तथा सम्पादकों और अनुवादकने ग्रंथको विद्वानों और श्रद्धालु पाठकों के लिये यथाशक्य अधिकसे अधिक उपयोगी बनानेका प्रयत्न किया है। ग्रंथकी अंग्रेजी और हिन्दी प्रस्तावनाएँ यद्यपि समान सामग्रीपर आधारित हैं, तथापि वे बहुत कुछ स्वतंत्रतासे लिखी गई हैं और वे विद्वानोंके लिये विशेषतः आधारभूत प्रमाणोंके उल्लेखोंके सम्बन्धमें, परस्पर परिपूरक हैं। जिन हस्तलिखित प्रतियोंका इस ग्रंथके सम्पादनमें उपयोग किया है उनके मालिकोंके तथा जीवराज ग्रंथमालाके अधिकारी वर्गके, उनके इस ग्रंथमालामें ऐसे ग्रंथोंके प्रकाशनमें उत्साह और सहयोग के हेतु, सम्पादक हृदयसे कृतज्ञ हैं । कोल्हापुर ) जबलपुर आ. ने. उपाध्ये हीरालाल जैन

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