Book Title: Nrutyaratna Kosh Part 01
Author(s): Kumbhkarna Nrupati
Publisher: Rajasthan Purattvanveshan Mandir

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Page 166
________________ र को०-उल्लास 2, परीक्षण 4 श्रीमत्कुंभ[ल] मेरुनवीननिर्मितसुमेरुणा. श्रीचित्रकूटभौमवर्गतातन्वीकरणरचितचारुतरपथेन मेदपाटसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन अरिराजमत्तमातङ्गपश्चाननेन प्ररूढपत्रयवनदवदहनदवानलेन प्रत्यर्थिपृथिवीपतितिमिरततिनिराकरणप्रौढप्रतापमार्तण्डेन वैरिवनितावैधव्युदीक्षादानदक्षोद्दण्डकोदण्डदण्डमण्डिताखण्डभुजादण्डेन भूमण्डलाखण्डलेन श्रीचित्र5 कूटविभुना अध्युष्टतमनरेश्वरेण गजनरतुरगाधीशराजत्रितयतोडरमल्लेन वेदमार्गस्थापनचतुराननेन याचककल्पनाकल्पद्रुमेण वसुंधरोद्धरणादिवराहेण परमभागवतेन जगदीश्वरीचरणकिङ्करेण भवानीपतिप्रसादाप्तापसादेन राजगुर्वादिबिरुदावलीविराजमानेन राजाधिराजमहाराणाश्रीमोकलेन्द्रनन्दनेन राजाधिराजश्रीकुम्भकर्णमहीमहेन्द्रेण विरचिते संगीतराजे षोडशसाहस्रयां संगीतमीमांसायां नृत्यरत्नकोशे चारिकोल्लासे मण्डललक्षणं नाम चतुर्थ 10 परीक्षणम् // उल्लासश्च समाप्ति समगादिति विततमतीनामभिमतसिद्धिरस्तु॥ // इति नृत्यरत्नकोशे चारिकोल्लासे चतुर्थ परीक्षणं समाप्तम् // ॥समाप्तश्चायं द्वितीय उल्लासः॥ 10 विचित्रैर्विहृते(? तै)येनातिक्रान्तं वैरिमण्डलं। उल्लासितं जगद्येन पादैर्ललितसञ्चरैः / कामेश्वरीप्रसादेन मण्डले यस्य नित्यशः नेतयस्तेन राज्ञेदं कृतं मण्डललक्षणम् // / इति श्रीजगदीशवनदेवनिजगणेन // 1 // जगदीश्वरी-कामेश्वरीचरणकिङ्करेण // 2 // श्रीब्रह्माद्रिविभुना // 3 // अध्युष्टतमनरेश्वरेण // 4 // भीष्मपुरजयानीतानेकराजकन्यारत्नेन ॥५॥श्रीपुरग्रहणसंवर्द्धितयशोभरेण॥६॥ वाटिकाचलग्रहणजनितकीर्तिपूरपराजिताचलनायकेन // 7 // संगमनीरदुर्गोद्धरणोद्धृतसकलमण्डलाधीश्वरेण // 8 // मदनपुरविध्वंसनबंदीकृतयवनीनिचयेन // 9 // महिषमेरुजयाजेयविभवेन // 10 // शाकम्भरीरमणपरि20 शीलनपरिप्राप्तशाकम्भरीपरितोषितशाकम्भरीप्रमुखशक्तित्रयेण // 11 // अष्टादशगिरिशिखरपरिवारितांजनाद्रिविजयविख्यातवीर्यगर्वेण // 12 // महदंबमातृकापूरोखूलनधर्षितमहोरगपुरेण // 13 // श्रीवनदेवस्वामिप्र[[]सादरचनापरपरमेश्वरेण // 14 // त्र्यम्बकेश्वरसन्निधिकीर्तिस्तंभोन्नतजयस्तंभेन // 15 // श्रीब्रह्मगिरिभौमवर्गतायथार्थीकरणरचितचारपग्रेन // 16 // श्रीकामाक्षागिरिनवीननिर्मितिपराजितसुमेरुणा // 17 // श्रीमहिषाधलोपरि 25श्रीहरिशरणरचिताचलदुर्गेण // 18 // अभिनवभरताचार्येण // 19 // वीणावादनप्रवीणेन // 20 // यवनकुलाकालकालरात्रिरूपेण // 21 // त्रिसंध्यक्षेत्रसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन // 22 // परमभागवतेन // 23 // महाराजाधिराजमहाराणाश्रीमृगाङ्कनामराजेन्द्रनन्दनेन // 24 // महाराशीश्रीसौभाग्यवतीजसमाम्बिकाहृदयनंदनेन // 25 // सकलसीमंतिनीशिरोमणिनिकुंभराजन्यवंशावतंसमहाराज्ञीश्रीकर्मवती-लघुमादेवी-हृदयाधिनाथेन // 26 // 30 राजाधिराजकालसेनमहीमहेन्द्रेण विरचिते सङ्गीतराजे षोडशसाहस्यां सङ्गीतमीमांसायां नृत्यरत्नकोशे चारिकोल्लासे मण्डललक्षणं नाम चतुर्थ परीक्षणं समाप्तम् // उल्लासश्च द्वितीय - -

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