Book Title: Notes on Some Prakrit Words Author(s): H C Bhayani Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ 109 धरावे छे कारण के आचार्यश्रीए पोताना जमानामा पोताना विहारक्षेत्र मारवाडमां प्रचलित कातंत्र व्याकरण तथा तेना उपरनी दुर्गवृत्ति तथा सिद्धहैमशब्दानुशासनना पांचमा अध्यायनां अमुक चूंटेलां सूत्रो तथा तेमना उपरनी बृहद्वृत्तिनो उपयोग करीने पोतानी शार्ववर्मिक कातंत्रनी 'बालावबोधवृत्ति' तथा आचार्य हेमचंद्रसूरिना अमुक पसंद करेलां सूत्रोमां अनुवृत्तिनी आवश्यकता मुजब जरूरी फेरफार करीने नवेसरथी पोतानां कृत्सूत्रो मठारी तथा तेना उपर पण बालावबोध स्वरूपनी वृत्तिनी रचना करीने पोताना आ 'मेरुतुंग-बालावबोध-व्याकरण' तरीके ओळखावा लायक व्याकरणग्रंथनी रचना करी छे. आ ग्रंथमां कुल मळीने 1071 सूत्रो छे अने तेना उपर आचार्यनी 'बालवबोधवृत्ति' छे. आ सूत्रो चार अध्यायमां वहेंचायेलां छे अने दरेक अध्याय अमुक संख्याना पादोमां वहेंचायेलो छे. पाद संख्या चार ज होय तेवो नियम अहीं नथीं. प्रथम अध्यायमां पांच पाद, बीजामा छ पाद, त्रीजामां आठ पाद अने चोथामा छ पाद छे. ए रीते आ 'मेरुतुंग-बालावबोध-व्याकरण' चतुरध्यायी के पच्चीसपादी व्याकरण ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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