Book Title: Nishith Sutram Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 5
________________ ॥ श्री॥ लाईफ मेम्बर सा० श्रीमान् शेठ कानुगा धिंगडमलजी सा० का संक्षिप्त जीवन-चरित्र श्रीमान् शेठ कानुगा धिंगडमलजी मुलतानमलजी कुवाड गढसिवाणा के निवासी हैं । आपका जन्म सं.० १९७९ पौषवदि दशमी के दिन गढसिवाणा में श्रीमान् कानुगा हेमराजजी सा० कुबाड के यहाँ हुआ, आपकी जन्मदात्री मातेश्वरी का नाम कन्नुवाई था । आप बचपन से ही बडे बुद्धिमान् और व्यापारकुशल है अतः आप को १२ वर्ष की अवस्था में शेठ मुलतानमलजी की पत्नी प्यारीबाई ने आपको गोद रक्खा । आप व्यापार के निमित्त वल्लारी गये, वहाँ गणेशमलजी प्रतापमलजी की दुकान पर रहकर . वडी कुशलता के साथ व्यापार किया । आपकी कुशलता और नीतिमत्ता से प्रसन्न होकर सोलापुर के श्रीमान् शेठ भीमराजजी रतनचन्द्रजी ने आपको अपनी भागीदारी में रख लिया । आपने अच्छा व्यवसाय किया और धन उपार्जन किया । उसके बाद सं० २००७ में अहमदाबाद में आये और सा० गणेशमलजी वक्तावरमलजी की दुकान पर भागीदारी के साथ काम करने लगे । आपने अपने व्यवसाय में अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त की । संवत २०१८ में मृगसिरवदि छठ के शुभदिन में सा० धिंगडमल चन्दनमल के नाम से अपने स्वतन्त्र दुकान की। __आप धर्म के प्रताप से सम्पत्तिशाली बने और ५०००) पाँच हजार रुपये देकर आप शास्त्रोद्धारसमिति के आजीवन सदस्य बने । आप बडे उदार हैं । जीवदया आदि धार्मिककार्यों में आप उदारतापूर्वक खर्च करते हैं। धार्मिक तिथियों में उपवास पौषध आदि हर समय करते रहते हैं, साथ ही धार्मिक सेवा करते हैं । वेला, तेला चोला, पचोला अठाई आदि तपस्या भी करते हैं । जैसे ये धर्मात्मा हैं वैसे ही इनकी धर्मपत्नी पानकुंवरवाई भी दया पौपच सामायिक आदि धर्म ध्यान खूब करती है । आपने अनेक प्रकार की तपस्या की है और हर समय धर्म ध्यान का लाभ लेती रहती है। __ आपकी मातेश्वरी श्री प्यारीवाइ भी परम धर्मात्मा है उन्हीं के पुण्य प्रताप से ये फले फूले हैं और धर्मध्यान में अग्रेसर बने हैं । आपकी सुपुत्री भाग्यवती का विवाह सा० ऋषभचन्द्रजी रांका के सुपुत्र रूपचन्द्रजी के साथ हुआ है । वे भी धर्मपरायण है श्रीमान् धिंगडमलजी का यह धार्मिक परिवार सव परिवार के लिये एक आदर्श रूप वने यही अभिलाषा है । स्था. जैनशास्त्रोद्धारसमिति राजकोटPage Navigation
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