Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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[1.5
नायाधम्मकहाओ संसए जायकोउहल्ले संजायसड्डे संजायसंसए संजायकोहल्ले उत्पन्नसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नकोउहल्ले समुप्पन्नसड्डे समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उट्ठाए उढेइ २ जेणामेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छइ २ अज्जसुहम्मे थेरे विक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ वंदइ नमसइ २ अज्जसुहम्मस्स थेरस्स नच्चासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आईगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धणं पुरिसुत्तमेणं पुरिससहिणं पुरिसवग्घेणं पुरिसवरगंधहत्थिणा लागुत्तमणं लोगनाहेणं लोगहिएणं लोगपईवेणं लोगपज्जोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चक्खुदएणं मग्गदएणं बोहिदएणं धम्मदएणं धम्मदेसगेणं धम्मनायगेणं धम्मसारहिणा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडिहयवरनाणदसणधरेणं वियदृछउमेणं जिणेणं जाणएणं तिण्णेणं तारएणं बुद्धणं बोहएणं मुत्तेणं मोयगेणं सव्वण्णेणं सव्वदरसिणा सिवमयलमरुयमणतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तियं सासयं ठाणमुवगएणं पंचमस्स अंगस्स अयमढे पन्नत्ते, छट्ठस्स णं भंते ! नायाधम्मकहाणं के अढे पन्नत्ते ? जंबू ति अज्जसुहम्मे थेरे अज्जजंबूनामं अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छठुस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पन्नचा, तंजहा-नायाणि य धम्मकहाओ य। जइ णं भंते । समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पन्नत्ता तंजहा- नायाणि य धम्मकहाओ य, पढमस्सणं भंते ! सुर्यखंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं नायाणं कइ अझयणा पन्नत्ता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं नायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा- उक्खित्तणाए संघाडे अंडे कुम्मे ये सेलगे। तुंबे यं रोहिणी मल्ली मायंदी चंदिमा इ य ॥१॥ दावहवे उदगणाए मंढुक्के तेयली वि य । नंदीफले अवरकका आइन्ने सुसुमा इ य ॥२॥ अवरे य. पुंडरीए नायए एगूणवीसइमे।
(6) ज णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं नायाणं एगूणवसिं

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