Book Title: Navsmaranani
Author(s): 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ नव | त्रिभिर्विशेषकम् ॥ आगया वरविमाणदिवकणगरहतुरयपहकरसएहिं हुलिअं । ससंभमोअरणखु. पर्छ स्मरणानि । | भिअलुलिअचलकुंडलंगयतिरीडसोहंतमउलिमाला ॥ २२ ॥ वेड्डओ॥ जं सुरसंघा सासुरसंघा| अजितवेरविउत्ता भत्तिसुजुत्ता, आयरभूसिअसंभमपिंडिअसुटुसुविम्हिअसवबलोधा । उत्तमकंचणरय-14 शान्ति स्मरणम् ॥ णपरूवियभासुरभूसणभासुरिअंगा, गायसमोणयभत्तिवसागयपंजीलपेसिअसीसपणामा ॥ २३ ॥ रयणमाला ॥ वंदिऊण थोऊण तो जिणं, तिगुणमेव य पुणो पयाहिणं । पणमिऊण य जिणं || सुरासुरा, पमुइआ सभवणाइँ तो गया ॥ २४ ॥ खित्तयं ॥ तं महामुणिमहंपि पंजली, राग-1 दोसभयमोहबजिअं । देवदाणवनरिंदवंदिअं, संतिमुत्चममहातवं नमे ॥ २५ ॥ खित्तयं ॥ अंबरंतरविआरणिआहिं, ललिअहंसवहुगामिणिआहिं । पीणसोणिथणसालिणिआहिं, सकलकमल- | दललोअणिआहिं ॥ २६ ॥ दीवयं ॥ पीणनिरंतरथणभरविणमियगायलआहिं, मणिकंचणपसि ढिलमेहलसोहिअसोणितडाहिं । वरखिंखिणिनेउरसतिलयवलयविभूसणिआहिं, रइकरचउरमणोहरसुंदरदसंणिआहिं ॥ २७ ॥ चित्तक्खरा ॥ देवसुंदरीहिँ पायवंदिआहिँ वंदिआ य जस्स ते सुविक्कमा कमा, अप्पणो निडालएहिँ मंडणोडणप्पगारएहिँ केहिँ केहिँ वी अवंगतिलयपत्तले SCORCHESAGARCANCRECORRECTOR SACCE ॥ ५॥ Jan Education inte For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36