Book Title: Nari Chetna aur Acharya Hastimalji
Author(s): Anupama Karnavat
Publisher: Z_Jinvani_Acharya_Hastimalji_Vyaktitva_evam_Krutitva_Visheshank_003843.pdf

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Page 8
________________ * प्राचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा. * 233 आज मिलकर यह संकल्प दोहराएँ कि नारी चेतना की जो मशाल वे हमें थमा गये हैं, हम उसे बुझने नहीं देंगे। समाज की जागृत महिलाओं को अब धर्म-प्रसार में आगे आना होगा, सुषुप्त महिलाओं में चेतना उत्पन्न करनी होगी और नारीचेतना ही क्यों सेवा, दया, विनय, अनुशासन, एकता, सामायिक और स्वाध्याय इत्यादि के क्षेत्र में जो कार्य वे शुरू कर गये हैं, हमें सक्रिय योगदान देकर उन्हें गतिशील करना है, उन्हें चरम परिणति तक पहुँचाना है ताकि कहीं दूर वे भी हमें देखकर गौरवान्वित हो सकें और हमारा जीवन सार्थक बन सके / किन्तु यह निर्विवाद सत्य है कि फिर भी एक कसक हमारे दिलों में कहीं न कहीं अवश्य होगी इस पुकार के साथ "हजारों मंजिलें होंगी, हजारों कारवां होंगे। निगाहें जिनको ढूंढ़ेगी, न जाने वो कहाँ होंगे।" और सचमुच, वह व्यक्तित्व था ही ऐसा, अनन्त अनन्त गुणों से युक्त किन्तु उनके गर्व से अछूता, सदैव अविस्मरणीय, जिसके प्रति हम तुच्छ जीव अपनी भावनाएँ चित्रित करने में भी असमर्थ रहते हैं। "वे थे साक्षात गुणों की खान, कैसे सबका भंडार करूँ, दिये सहस्र प्रेरणा के मंत्र हमें, चुन किसको में गुंजार करूँ ? बस स्मरण करके नाम मात्र, मैं देती अपना शीश नवां, क्योंकि यह सोच नहीं पाती अक्सर, किस एक गुण का गान करूँ।" ऐसी महाविभूति के चरणों में कोटि-कोटि वन्दन / -द्वारा, श्री मनमोहनजी कर्णावट, विनायक 11/20-21, राजपूत होस्टल के पास, पावटा, 'बी' रोड, जोधपुर माता का हृदय दया का आगार है। उसे जलानो तो उसमें दया की सुगन्ध निकलती है। पीसो तो दया का ही रस निकलता है / वह देवी है / विपत्ति की क्रूर लीलाएँ भी उस निर्मल और स्वच्छ स्रोत को मलिन नहीं कर सकतीं। -प्रेमचन्द ईश्वरीय प्रेम को छोड़कर दूसरा कोई प्रेम मातृ-प्रेम से श्रेष्ठ नहीं है / -विवेकानन्द * माता के चरणों के नीचे स्वर्ग है। -हजरत मोहम्मद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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