Book Title: Nandisuttam
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown
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________________ 48 नंदिसुत्ते सुयनाणोवसंहारो [सु० 119-20 णाऽऽसी ण कयाति णत्थि ण कयाति ण भविस्सति, भुविं च भवति य भविस्सति य, धुवा णीया सासता अक्खया अव्वया अवट्ठिया णिच्चा, एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे ण कयाइ णाऽऽसी ण कयाइ णत्थि ण कयाइ ण भविस्सति, भुविं च भवति च भविस्सति य, धुवे णिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिचे / 119. से समासओ चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। तत्थ दव्वओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइं जाणइ पाँसइ / खेत्तओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणइ पासइ / कालओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वं कालं जाणइ पासइ / भावओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ पासइ / 120. अक्खर 1 सण्णी 2 सम्मं 3 सादीयं 4 खलु सपज्जवसियं 5 च। गमियं 6 अंगपविढे 7 सत्त वि एए सपडिवक्खा // 83 // आगमसत्थग्गहणं जं बुद्धिगुणेहिं अट्ठहिं दिटुं / बिंति सुयणाणलंभं तं पुव्वविसारया धीरा // 84 // सुस्सूसइ 1 पडिपुच्छइ 2 सुणेइ 3 गिण्हइ 4 य ईहए 5 यावि। तत्तो अपोहए 6 वाँ धारेइ 7 करेइ वा सम्म 8 // 85 // मूयं 1 हुंकारं 2 वा बाढक्कार 3 पडिपुच्छ 4 वीमंसा 5 / तत्तो पसंगपारायणं 6 च परिणिट्ट 7 सत्तमए // 86 // सुत्तत्थो खलु पढमो 1 बीओ णिजुत्तिमीसिओ भणिओ 2 / तइओ य णिरवसेसो 3 एस विही होइ अणुओगे // 87 // से तं अंगपविठं 14 / से तं सुयणाणं / से तं परोक्खणाणं। ॥से तं गंदी सम्मत्ता॥ 1. ण भवंति ण कयाइ ण भविस्संति, भुविं च भवंति च भविस्संति य, धुवा खं० ल• शु०॥ 2. गीते खं० ल० शु० // 3. तत्य इति पदं खं० डे० ल० शु० विआनन्द्ध रणे 300 पत्रे नास्ति // 4, 6, 8, 10. ण पासइ हाटीपा० // 5, 7, 9. सव्व खं० विआनन्शुद्धरणे 300 पत्रे // 11. अट्टहिं वि दिटुं जे. ल.॥ 12. आवि खं० / वा वि जे. ल. / 13. या खं० //

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