Book Title: Nandisutra ke Vruttikar tatha Tippankar
Author(s): Punyavijay
Publisher: Punyavijayji

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Page 14
________________ નન્દી સૂત્રકે વૃત્તિકાર તથા પિનકાર [87 इनका इस ग्रन्थके साथ कोई सम्बन्ध नहीं है / ये विप्रकीर्ण पन्ने हैं। यहाँ पर गीतार्थ मुनिगण एवं विद्वद्वर्गसे निवेदन है कि इस ग्रन्थमें मेरे अनवधानसे नन्दीवृत्तिदुर्गपदव्याख्याके शीर्षकोंमें श्री श्रीचन्द्राचायनामके साथ जो मलधारि विशेषण छपा है उन सभी स्थानोंमें चन्द्रकुलीन ऐसा सुधार लिया जाय / और नन्दीवृत्तिसंक्षिप्तटिप्पनकके साथ 'श्री चन्द्रकीर्तिमरिप्रणीत ' छपा है उसको मिटा दिया जाय / यहाँ पर ग्रन्थकारोंके विषयमें जो वक्तव्य था, वह समाप्त हो जाता है ? [ वृत्तिसहित 'नन्दीस्त्र,' प्रस्तावनासे, वाराणसी, ई. स. 1966] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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