Book Title: Nagil Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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नागील
चरित्रं
॥१४॥
॥१४॥
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तदद्वयं भाग्यशेषेण भुक्त्वा भोगोत्सवं दिवः । क्षेत्रे महाविदेहास्येमोभूयाप निर्वृतिम् ॥ १५ ॥ ___ अर्थ:-पछी तेओ बन्ने बाकीना भाग्यवडे दैविक भोगोनो उत्सव भोगवीने महाविदेहनामना क्षेत्रमा मनुष्य थइ मोक्ष पाम्या.
. अतो नागिलनन्दावदानन्दाद्वैततत्परः। धार्य तुर्यव्रतं दधर्मवृक्ष कवर्षणम् ॥ ६६ ॥ ___ अर्थ:-माटे नागिल अने नंदानी पेठे आनंदमांज फक्त तत्पर थयेला चतुर माणसोए धर्मरूपी वृक्ष माटे वरसाद सरखा चोथा व्रतने धारण कर. ॥ ६६॥
इति चतुर्थव्रतविचारे नागिलकथा ॥ ए रीते चोथा व्रतना विचारना संबंधमां नागिलनी कथा कही.
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आ चरित्र श्रीवर्धमानमूरिए रचेला वासुपूज्यचरित्रमाथी ओधरीने तेनुं गुजराती भाषांतर करी
छपाची प्रसिद्ध करेल छे.
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