Book Title: My Book of Prayers Naman
Author(s): Madhuban Educational Books
Publisher: Madhuban Educational Books

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Page 47
________________ चरन-कमल बन्दौं हरि राई। जाकी कृपा पंगु गिरि लंपै; अंधे को सब कछु दरसाई ॥ बहिरो सुनै; मूक पुनि बोलै; रंक चलै सिर छत्र धराई । सूरदास स्वामी करुनामय बार-बार बन्दौं तेहि पाई ॥ * अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी देख्यो चाहत कमलनैनको निसिदिन रहत उदासी ॥१॥ आये ऊधो फिरि गये आँगन डारि गये गर फाँसी ॥२॥ केसरि-तिलक मोतिन की माला वृन्दावन को वासी ॥३॥ काहूके मनकी कोऊ न जानत लोगन के मन हाँसी ॥४॥ सूरदास प्रभु ! तुमरे दरस बिन लेहौं करवट कासी ॥५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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