Book Title: Munishwar suri krut Pramansar
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 26
________________ September-2003 43 नित्यपक्षगुणांश्च / 36. प्रतिजानानः / 37. 'गुणोत्कर्षतः' इति टि. 38. तत्रायं / 39. धर्ममपेक्ष्य / 40. ०दर्शः // अविघ्नमस्तु // 41. ०प्रतिपत्तिविप्रतिपत्तिमुसन्ति / 42. 'वदन्ति' इति टि. / 43. प्रश्निः / 44, कस्कः कृती / 45. मैवं भव० / 46. ०मव्यवहारि सा० / 47. भागा / 'विशेषाः' इति टि. / 48. नैकत्य / 49. ०ग्राहकां / 50. अक्षि / 51. तदिदं स्पष्टं प्रत्यक्षं प्रत्यक्ष० / 52. ०श्रोत्रान्येन्द्रिय० / 53. ०आत्मपरिणामं / 54. प्रियप्रणयिनी० / 55. सत्सु / 56. ०मस्तीति च / 57. ०प्रव्रजितार्यादि० / 58. ०प्रबोधसाधनं / 59. ०मनुमानमिति / 60. प्रमाज्ञान० / 51. ०वादीति / 62. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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